पंचकूला: पंचकूला इन दिनों रंग बिरंगी रोशनी और आकर्षक लाइटों से सजा है. दरअसल, पंचकूला में बीते कई सालों से साईं उत्सव नववर्ष के मौके पर मनाया जाता है. इस साल भी ये आयोजन किया गया है, जो कि 1 जनवरी 2026 तक धूमधाम से मनाया जाएगा.
देखते बन रही सजावट: साईं उत्सव को लेकर सेक्टर 5 की साज सजावट देखते ही बन रही है. दिन के समय का आकर्षण लाइटिंग होने से लगातार बढ़ता जा रहा है. हर उम्र वर्ग के लोग इस साज सजावट और विभिन्न राज्यों की संस्कृति को देखने के लिए पहुंच रहे हैं.
हरियाणा-पंजाब-उत्तराखंड की संस्कृति का संगम:इस बार साईं उत्सव में विभिन्न राज्यों की संस्कृति, लोक नृत्य और लोक गीतों का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है. रोजाना लोग यहां अलग-अलग राज्यों की संस्कृति और लोक गायकी को सुनने के लिए पहुंच रहे हैं. हरियाणा के लोक गीत और नृत्य हो, पंजाब का भांगड़ा हो या फिर उत्तराखंड का नृत्य हो, सभी जगह के कलाकार और अन्य लोग साईं उत्सव को धूमधाम से मना रहे हैं. सेक्टर 5 में विभिन्न मार्गों को लाइटिंग से सजाया गया है.
साईं बाबा के साथ भोलेनाथ की भी लगी मूर्ति: इस बार उत्सव में साईं बाबा सहित भगवान भोलेनाथ और भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को संदेश देते हुए विशाल मूर्तियां और पंडाल सजाए गए हैं. स्कूली बच्चे भी इस उत्सव का हिस्सा बने हैं, जो लोक गीतों के बीच साईं जी को हाथ जोड़ते दिखाई दिए.
मशहूर गायकों के बीच पहुंचेंगे मुख्यमंत्री:साईं उत्सव में रोजाना अलग-अलग राज्यों के लोक गायकों समेत नामचीन गायक भी पहुंच रहे हैं. इनके अलावा 1 जनवरी 2026 को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी इन गायकों के बीच साईं उत्सव में शामिल होंगे. इस दौरान विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा.
जानें क्या बोले आयोजनकर्ता: शिरडी साईं सेवा समाज पंचकूला के आयोजनकर्ता अनिल थापर ने बताया कि, “इस बार 51 तरह के आकर्षण दरबार और पंडाल सजाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस आयोजन में श्रद्धालुओं-भक्तों से किसी प्रकार की कोई फीस नहीं ली जा रही है. सबकुछ निशुल्क रखा गया है. हालांकि यदि कोई स्वयं भगवान के श्रीचरणों में कुछ अर्पित करना चाहता है तो उसके लिए क्यूआर कोड की व्यवस्था की गई है. “
2008 में हुआ था पहला आयोजन:आयोजनकर्ता अनिल थापर ने बताया कि, “इस बार 18वां साईं उत्सव मनाया जा रहा है. इस उत्सव की शुरूआत सर्वप्रथम वर्ष 2008 में की गई, जिसके बाद से पंचकूला शहर में इसे निरंतर साल दर साल आगे बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस साईं उत्सव का उद्देश्य समाज के हर उस व्यक्ति के साथ जुड़ना है, जो यह समझते हैं कि वे कब किसी ऐसे माहौल को देख सकेंगे, किन्हीं लोगों के साथ कब बैठ सकेंगे या उन्हें देख सकेंगे, जो उनकी उम्मीद से दूर होते हैं. “
लोगों से आयोजनकर्ता की अपील: अनिल थापर ने आगे बताया कि, “भले ही आकर्षक लाइटिंग के लिए उन्होंने थाईलैंड व मलेशिया समेत अन्य देशों से आइडिया लिया है लेकिन उत्सव में लगाई गई हर तरह की लाइटिंग को स्वयं तैयार किया गया है. इसके लिए कारीगरों की टीम बीते एक महीने से जुटी हुई है.” उन्होंने इस आयोजन का पूरा श्रेय अपनी समूची टीम को दिया और साथ ही लोगों से अपील में कहा कि, “वे निश्चिंत होकर आयोजन स्थल पर पहुंचे. किसी से किसी प्रकार की कोई फीस या शुल्क नहीं लिया जा रहा है. जो भी चीज़ें आयोजन स्थल पर लगाई गई या सजाई गई हैं, उनका हर कोई निशुल्क आनंद ले सकता है.”

















