झज्जर: डीघल गांव स्थित प्राचीन गोपाल गौशाला में अब मृत गायों का अंतिम संस्कार पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि अत्याधुनिक बायोगैस यानी बायोमास प्लांट के माध्यम से किया जाएगा. करीब 30 लाख रुपये की लागत से तैयार इस प्लांट का विधिवत शुभारंभ गौशाला कमेटी के सदस्यों द्वारा किया गया. इस बायोमास प्लांट की खास बात ये है कि इसमें 110 फुट ऊंची चिमनी लगाई गई है, जिससे प्रदूषण पर पूरी तरह नियंत्रण रखा जाएगा.
बायोगैस प्लांट के जरिए होगा गायों का अंतिम संस्कार: डीघल गौशाला के मैनेजर सतबीर ने कहा “यहां मृत गौवंश का अंतिम संस्कार पूरी तरह स्वच्छ, सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से किया जाएगा. प्लांट से निकलने वाली बायोगैस का उपयोग गौशाला परिसर में ईंधन के रूप में भी किया जाएगा. वहीं, मृत गायों को उठाने और प्लांट तक पहुंचाने के लिए एक विशेष क्रेन की व्यवस्था की गई है, जिससे पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक ढंग से पूरी की जा सके. ये व्यवस्था पर्यावरण संरक्षण और गौ माता के सम्मान को ध्यान में रखते हुए की गई है.”
20 एकड़ में फैली है गौशाला: सतबीर ने कहा “इससे ना केवल स्वच्छता बनी रहेगी, बल्कि गौशाला को ऊर्जा भी मिलेगी. करीब 20 एकड़ में फैली इस गौशाला में लगभग चार हजार गायों की सेवा की जा रही है. गौवंश के अंतिम संस्कार के लिए राज्य में यह सबसे बड़ी और आधुनिक सुविधा है. डीघल गांव की ये पहल ना सिर्फ धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अहम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा कदम मानी जा रही है. ये पहल पर्यावरण संरक्षण और संवेदनशील सोच की मिसाल है. डीघल की गौशाला ने यह साबित कर दिया है कि आधुनिक तकनीक और परंपरा साथ-साथ चल सकती हैं.”

















