चंडीगढ़। हरियाणा में भाजपा की निगाह उन विधानसभा सीटों पर है, जहां विपक्षी दलों के विधायक चुनकर आए हैं। राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में 42 सीटें ऐसी हैं, जिन पर विपक्षी दलों के विधायकों ने चुनाव जीता, जबकि 48 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल कर रखी है।
भाजपा की रणनीति उन विपक्षी विधायकों की विधानसभा सीटों को गोद लेने की है, जहां वह चुनाव हार गई थी। इसके पीछे हारे हुए विधानसभा क्षेत्रों को साल 2029 में होने वाले चुनाव के लिए फिर से मजबूत करने की सोच काम कर रही है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल के सहयोगियों और भाजपा विधायकों को सभी 42 सीटों पर काम करने का टास्क सौंपा जाएगा, जिसकी रूपरेखा मंगलवार को होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक में तैयार होगी।
सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों और विधायकों में छह मंत्री और विधायक ऐसे होंगे, जिन्हें विपक्षी दलों की सीटों पर काम करने की जिम्मेदारी से मुक्त रखा जाएगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पास चूंकि पूरे राज्य का कार्यभार है, इसलिए उन्हें अतिरिक्त काम करने के लिए लाडवा के अलावा दूसरी कोई विधानसभा सीट नहीं मिलेगी।
मुख्यमंत्री पूरे राज्य के प्रवास पर निकलने वाले हैं। भाजपा की सोच है कि मुख्यमंत्री पूरे राज्य के हैं, इसलिए उन्हें अतिरिक्त सीट पर काम करने की जिम्मेदारी से अलग रखा जाएगा।
विधायकों व मंत्रियों से कहा जाएगा कि वे भाजपा के हारे हुए उम्मीदवारों, जिला प्रभारियों व जिला प्रधानों के साथ-साथ संबंधित विधानसभा के प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलें, ताकि उन्हें यह लगे कि भले ही संबंधित विधानसभा से विपक्ष का विधायक चुनकर आया है, लेकिन यहां के लोगों की हरियाणा की सत्ता में पूरी हिस्सेदारी है।
भाजपा विधायक दल की सीएम निवास पर होने वाली बैठक में विपक्षी दलों की सीटों के बंटवारे पर चर्चा होगी। मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा स्पीकर हरविन्द्र कल्याण को भी घरौंडा से अलग कोई सीट नहीं मिलेगी।
सोनीपत जिले की राई विधानसभा सीट से चुनाव जीतीं कृष्णा गहलावत और अंबाला छावनी से सातवीं बार चुनाव जीते हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज को किसी अतिरिक्त विधानसभा की जिम्मेदारी से अलग रखे जाने की चर्चा है।
इसके पीछे उनके स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने कार्यकाल में जीते हुए विधायकों व मंत्रियों को हारी हुई विधानसभा सीटों पर काम करने का टास्क दिया था, जिसका नतीजा साल 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की 48 सीटों पर जीत के रूप में सामने आया है।
मिशन 2029 की तैयारी में जुटती दिखाई दे रही भाजपा
भाजपा की सोच है कि इस बार भी यदि आरंभ से ही हारी हुई 42 सीटों पर फोकस कर लिया जाए तो 2029 के चुनाव में विपक्षी दलों के सामने कड़ी चुनौती पेश की जा सकती है।
इन 42 सीटों में चार सीटें ऐसी हैं, जहां के विधायक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ मंच साझा कर चुके हैं और सार्वजनिक प्लेटफार्म पर उनके कामकाज की सराहना कर चुके हैं।
इसके अलावा कई विधायक ऐसे भी हैं, जो सामने आकर मुख्यमंत्री के कामकाज की तारीफ नहीं करना चाहते, लेकिन आंतरिक रूप से वे सरकार के कामकाज से खुश हैं। भाजपा ने इस मौके को भुनाने का रोडमैप छोटी टोली की बैठक में तैयार किया है, जिस पर विधायक दल की बैठक में आगे बढ़ा जाने वाला है।
भाजपा ने अपनी इस पूरी कार्ययोजना को ‘मिशन-2029’ की तैयारी से जोड़कर पेश किया है। विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के सभी 22 जिलों में प्रवास कार्यक्रमों को भी अंतिम रूप दिया जाएगा।
हरियाणा के राजनीतिक दलों की सीटें और मत प्रतिशत हरियाणा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 सीटें हैं, जबकि भाजपा ने 48 सीटों पर चुनाव जीता है। इस बार के चुनाव में भाजपा को 39.9 प्रतिशत वोट मिले थे, जोकि पिछले विधानसभा चुनाव (2019) की तुलना में 3.5 प्रतिशत ज्यादा हैं। भाजपा को पिछली बार के चुनाव से आठ सीटें ज्यादा हासिल हुई हैं।
इस बार के चुनाव में भाजपा को अपनी पिछली 40 में से 26 सीटों को सुरक्षित बचाने में कामयाबी मिली, जबकि पार्टी ने 22 नई सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस को पिछली बार की तुलना में इस बार 11 प्रतिशत अधिक वोट मिले और उसने लगभग भाजपा के बराबर ही 39.09 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किए। कांग्रेस ने इस बार 37 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है।
कांग्रेस अपनी पिछली 31 में से मात्र 15 सीटें ही बचा पाई और 22 नई सीटों पर जीत हासिल की। तीन निर्दलीय विधायक और दो विधानसभा सीटों पर इनेलो की जीत हुई है। 2019 के चुनाव में किंगमेकर की भूमिका निभाने वाली जननायक जनता पार्टी (जजपा) को 2024 के चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली।
पिछली बार जजपा को 10 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा में ऐसी पांच सीटें हैं, जिनमें निर्दलीय उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही, जबकि 11 सीटों पर कांग्रेस को निर्दलीय और बगावती उम्मीदवारों से टक्कर मिली थी।