कैग का खुलासा, सिस्टम की नाकामी से सरकार को हजारों करोड रुपए का फटका

SHARE

चंडीगढ़ : हरियाणा को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बुधवार को विधानसभा में 7 चैप्टर की रिपोर्ट पेश की है। इसमें बताया गया है कि कई विभागों में की गई लापरवाही और गड़बड़ियों के कारण हजारों करोड़ रुपए का सरकार को नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार शहरी एवं स्थानीय विभाग की लापरवाही के कारण 209 करोड़ रुपए के नुकसान की बात सामने आई है। इसके अलावा श्रम विभाग की जांच में अधिकारियों द्वारा समय पर इनकम टैक्स छूट के लिए अप्लाई नहीं किए जाने के कारण करीब 713 करोड़ रुपए के इनकम टैक्स की देनदारी विभाग पर बन गई है। कैग ने अपनी जांच में सरकार के विभागों की ऑडिट अथॉरिटी, ऑडिट प्लान और सरकार की ऑडिट के प्रति जवाबदेही को बताया गया है। वहीं ऑडिट का परफॉर्मेंस, स्पेसिफिक सब्जैक्ट ऑब्जर्वेशन, सरकारी विभागों के ऑडिट से निकले कमैंट और ऑडिट ऑब्जर्वेशन को शामिल किया गया है।

शहरी स्थानीय निकाय विभाग में सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट का ऑडिट: हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय विभाग में सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट को लेकर 2017-18 से 2021-22 का ऑडिट किया गया। इसके लिए सूबे के 18 शहरी स्थानीय निकायों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के डॉक्युमेंट की जांच की गई। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट की पॉलिसी और प्लानिंग में 15 महीने की देरी की गई। जांच में इसके अलावा भी कई खामियां मिलीं। 2017 से लेकर 2022 के दौरान टोटल वेस्ट 103.58 लाख टन बताया गया, जिसमें से 64.86 लाख टन अपशिष्ट (63 फीसदी) बिना किसी प्रोसैस के डंप साइटों पर फेंक दिया गया। निकाय विभाग द्वारा नगर निगम गुरुग्राम ने नवम्बर 2021 से मार्च 2022 तक प्रोजैक्ट में देरी के लिए 4.92 करोड़ रुपए की कंपनसैशन नहीं लगाया। गुरुग्राम और फरीदाबाद को तय समय पर लागू न होने के कारण 108.93 करोड़ का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। एन.जी.टी. ने बंधवाडी साइट पर लिगेसी वेस्ट का बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट न करने के लिए नगर निगम, गुरुग्राम पर 100 करोड़ का जुर्माना लगाया।

गेहूं खरीद से लेकर कई मामलों में मिलीं गड़बड़ियां

गेहूं की खरीद, स्टोरेज और भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) को डिलीवरी परफॉर्मेंस ऑडिट अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक 5 सालों में राज्य खरीद एजेंसियों (गेहूं के लिए) की जांच की गई। कुल 22 जिलों में से 8 जिलों की मंडियों को जांच के लिए चुना गया। जांच में पाया गया कि मंडियों में बुनियादी सुविधाओं जैसे तौल कांटे, अग्निशमन व्यवस्था, किसान विश्राम गृह, कैंटीन पर्याप्त नहीं थी। कुछ मंडियों में तौल कांटे नहीं होने के कारण हैफेड द्वारा मंडियों के बाहर स्थित तौल कांटों तक गेहूं के परिवहन पर 2.93 करोड खर्च किया गया। इसके अलावा विभाग ने गेहूं की खरीद के लिए ऊंची दरों पर फंड्स की व्यवस्था की थी, जिसके कारण 222.24 करोड़ का ज्यादा ब्याज देना पड़ा। किसानों को भुगतान में देरी हुई। इसके अलावा बड़ी मात्रा में गेहूं को ओपन प्लिंथ किराए पर लेकर अवैज्ञानिक तरीके से भंडारित किया गया, जिससे गेहूं का स्टॉक खराब हुआ। मंडियों में आढ़तियों को 48,12 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कमीशन दिया गया, जबकि निगम ने 46 प्रति क्विंटल कमीशन तय किया, जिससे एजेंसियों को 14.27 करोड़ नुकसान हुआ। इसके अलावा रखरखाव प्रभार को लागत शीट में शामिल न किए जाने के कारण खरीद एजेंसियों को 90.30 करोड़ का नुकसान हुआ।

श्रम विभाग की जांच में कई खामियां

कैग रिपोर्ट में पाया गया कि श्रम विभाग के भवन एवं अन्य सन्निर्माण विभाग में कर्मकारी के कल्याण के 2017-18 से 2021-22 तक 5 साल की जांच में कई खामियां मिलीं 12017-18 से 2022-23 के दौरान लेबर सैस कलैक्शन 2.153.11 करोड रुपए था, बोर्ड ने 2017-18 से 2022-23 के दौरान योजनाओं पर कुल फंड 5.553.71 करोड़ रुपए में से केवल 1,656.78 करोड (29.83 फीसदी का ही यूज किया। बोर्ड ने इनकम टैक्स छूट के लिए समय पर आप्लाई नहीं किया, जिसके कारण 713.25 करोड रुपए की इनकम टैक्स की देनदारी बन गई।

9 सरकारी विभागों में कई खामियां

कैग के ऑडिट में 9 सरकारी विभागों, पब्लिक सैक्टर के अंडरटेकिंग और ऑटोमोनस बॉडी की जांच की गई, जहां 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई थी। जांच के दौरान 14 मामलों में 14 मामलों में अचॉरिटी से वृद्धि की मंजूरी लिए बिना ही 108.91 करोड़ के कांट्रैक्ट अमाऊंट के खिलाफ 255.70 करोड रुपए का पेमेंट कर दिया गया। पब्लिक हैल्य डिपार्टमेंट में, ई-टैंडर से बचने के लिए टैंडर अमाऊंट को 1 लाख रुपए से कम रखी गई, बाद में इसे बढ़ा दिया गया। जांच में ये भी पाया गया कि 77.89 करोड कांट्रैक्ट फंड के खिलाफ 178.13 करोड रुपए का पेमेंट कर दिया। इसके बाद भी 5 प्रोजैक्ट अधूरे पड़े हैं। हैरानी की बात यह है 13 ऐसे मामले भी मिले हैं, जिनका काम पूरा करने में तय समय में 4 से 45 माह तक का लेट हुआ। हाई रेट पर पेमेंट कर ठेकेदारों को 73.73 करोड़ रुपए का गलत लाभ दिया गया, जिसमें से ऑडिट द्वारा बताने के बाद 6.64 करोड की वसूली कर ली गई थी।

आपकी बेटी, हमारी बेटी योजना में अतिरिक्त भुगतान

महिला एवं बाल विकास विभाग में आपकी बेटी हमारी बेटी योजना के तंत्र में स्वीकृति के लिए आवेदनों के चयन और फंड की मंजूरी की प्रक्रिया के दौरान, डबल आवेदनों को पहचानने और उन्हें हटाने की व्यवस्था नहीं होने के कारण जीवन बीमा निगम को 15.54 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान कर दिया गया।

हथिनीकुंड बैराज के पास रेस्तरां निर्माण में भी लगी चपत

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा हथिनी कुंड बैराज पर रैस्ट हाऊस के पास रेस्तरां निर्माण पर किया गया 1.74 करोड का एक्सपेंडीचर यूटिलाइजेशन के लिए कोई प्लानिंग नहीं होने के कारणप्रोजैक्ट फेल रहा। भू- मालिकों को मुआवजे का भुगतान करने में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की 1,593 दिनों की देरी हुई, जिसके कारण 2.07 करोड़ का ब्याज देना पड़ा। भूमि मुआवजे के अवॉर्ड में पब्लिश करने में गलती की गई, जिसके कारण भू-स्वामियों को 3.42 करोड़ रुपए मुआवजे का अधिक देना पड़ा। इसके अलावा अर्बन स्टेट डिपार्टमेंट 3.25 करोड़ के ब्याज सहित अधिक पेमेंट किए गए फंड वसूली में फैल रहा।