रेवाड़ी में बदमाशों का सिर मुंडवाकर परेड कराने का मामला, पुलिस पर बर्बरता के आरोप — हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

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 चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है।

हाई कोर्ट के जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव, डीजीपी और रेवाड़ी के आइजी समेत पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर दो दिसंबर तक जवाब दायर करने का आदेश दिया है।

याचिकाकर्ता विनीत कुमार जाखड़ ने याचिका में रेवाड़ी जिले के पुलिस अधिकारियों द्वारा आरोपितों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने पर कार्रवाई की मांग की है।

याचिका के अनुसार, रेवाड़ी के  डीएसपी सुरेंद्र श्योराण और अन्य पुलिस अधिकारियों ने एक मामले के चार आरोपिताें का सिर जबरन मुंडवाया, हाथों में हथकड़ी लगाई और उन्हें बाजारों में परेड कराया। याचिकाकर्ता ने इस कार्रवाई को अमानवीय, असंवैधानिक और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताया है।

याचिका में कहा गया कि यह कृत्य संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।

साथ ही यह अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समानता के अधिकार के भी विरुद्ध है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन और शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति किसी आरोपित को हथकड़ी लगाना पूरी तरह गैरकानूनी है।

कोर्ट को बताया गया कि इससे पहले भी पुलिस ने अन्य मामलों में इस तरह की कार्रवाई कई बार की है। याचिका में कहा गया है कि पुलिस का यह रवैया न केवल कानून के शासन की भावना को ठेस पहुंचाता है, बल्कि न्यायपालिका के आदेशों की भी अवहेलना करता है।

यह कार्रवाई पावर के दुरुपयोग का उदाहरण है और लोकतांत्रिक प्रणाली में राजशाही जैसी प्रवृत्ति को दर्शाता है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि वह इस मामले में मामले में संज्ञान ले व एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच एजेंसी गठित करे।

याचिका में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक, कानूनी और अवमानना की कार्रवाई की भी मांग की गई। याची पक्ष की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने इस मामले में मुख्य सचिव, डीजीपी, रेवाड़ी के आइजी व एसपी व डीएसपी सुरेंद्र श्योराण को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।