चंडीगढ़ का “वर्ल्ड पीस मिशन ट्रस्ट” गरीब बेटियों का मसीहा बना, 1992 में पेड़ के नीचे शुरू हुई फ्री शिक्षा आज बड़े बदलाव की मिसाल

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पंचकूला: आर्थिक रूप से कमजोर व झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा और जरूरतमंद युवतियों/महिलाओं के उत्थान के लिए ”वर्ल्ड पीस मिशन ट्रस्ट” एक मजबूत सहारा बनकर उभरा है. वर्ष 1992 में गरीब बच्चों को फ्री शिक्षा देने के उद्देश्य से स्वर्गीय अवतार सिंह द्वारा उक्त ट्रस्ट की स्थापना की गई. उस दौरान बच्चों को पेड़ के नीचे बिठाकर शिक्षा देने से शुरूआत करने वाली आज यह 14 सदस्यीय ट्रस्ट चंडीगढ़ के गांव जगतपुरा की दो मंजिला इमारत के सेंटर से इस नेक सोच को मजबूती से आगे बढ़ा रही है. दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले परिवार के बच्चों की फ्री शिक्षा के लिए बीते 33 वर्ष से लोगों के दान/सहयोग राशि से इस ट्रस्ट का संचालन जारी है.

400 छात्रों को शिक्षा और कौशल विकास: वर्ल्ड पीस मिशन ट्रस्ट द्वारा अब आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को मजबूत बनाकर उनके उत्थान के लिए उन्हें सेंटर में कौशल विकास प्रशिक्षण देना भी शुरू किया गया है. इस दो मंजिला इमारत के अलग-अलग कमरों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले करीब 400 से अधिक बच्चों को शिक्षित करने के अलावा कौशल विकास के लिए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अध्यापिका हरप्रीत कौर ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा वर्तमान समय में जरूरतमंद महिलाओं को निशुल्क मेहंदी लगाना और सिलाई, बुनाई, कढ़ाई का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.

एक दिन की हजारों रुपये इनकम: ट्रस्ट के सचिव महानंद शुक्ला ने बताया कि “ट्रस्ट के सेंटर में कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर रही युवतियां लोगों के घरों में जाकर साफ-सफाई का काम करती हैं. घरों में अपना काम खत्म करने के बाद वे सेंटर में आकर अपने कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. ट्रस्ट द्वारा उन्हें मेहंदी के एक्सपर्ट्स की मदद से मेहंदी लगाना सिखाया जाता है. जिसके चलते प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी युवतियां अब तीज-त्योहारों और करवा चौथ जैसे विशेष अवसरों पर एक दिन में 1-2 हजार रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक कमा लेती हैं”.

कभी स्कूल नहीं गए यह बच्चे: महानंद शुक्ला ने बताया कि “ट्रस्ट द्वारा जिन बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है, असल में वे कभी स्कूल गए ही नहीं. ऐसे बच्चों को ट्रस्ट द्वारा ही हिंदी वर्णमाला, अंग्रेजी के अल्फाबेट और गिनती से लेकर आगे तक की पढ़ाई करवाई जाती है. इसके बाद शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान और अन्य टेस्ट दिलाकर उनकी योग्यता के अनुसार उनका सरकारी स्कूलों में दाखिला कराया जाता है. इसी प्रकार जरूरतमंद युवतियों को भी स्किल डेवलपमेंट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है”.

दान, सहयोग और पूर्ण पारदर्शिता: मैनेजिंग ट्रस्टी ललित बहल ने बताया कि “कोलकाता से संबंध रखने वाले स्वर्गीय अवतार सिंह जब यहां आए तो उन्होंने देखा कि दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले लोगों के अपने काम पर चले जाने के बाद उनके बच्चे गलत आदतों में संलिप्त हो रहे थे. ऐसे में अवतार सिंह ने बच्चों को सही रास्ते पर लाने के मकसद से शिक्षित करने का फैसला लिया. इसके लिए वह बच्चों को टॉफी और चॉकलेट देते, जिनके लालच में बच्चे पढ़ाई में रुचि लेने लगे थे. ललित बहल ने बताया कि संस्था की शुरुआत पेड़ों के नीचे से हुई और वर्तमान समय में लायंस क्लब का सहयोग लिया जा रहा है”.

उन्होंने बताया कि “कई अन्य संस्थाएं व दानी सज्जन भी साथ जुड़ गए हैं. एक-एक पैसा इकट्ठा कर आज गांव जगतपुरा में दो मंजिला इमारत तैयार की गई है. हर कदम पर पूर्ण पारदर्शिता के साथ काम जारी है. इसी कारण वर्ष 2014 में इमारत की रजिस्ट्री के दौरान 19 लाख रुपये के हिसाब से ही रजिस्ट्री कराई गई. उन्होंने बताया कि बच्चों के जूते, यूनिफॉर्म और पुस्तकों समेत इमारत में रखा गया सारा फर्नीचर तक दानी सज्जनों, जानकारों और सामाजिक सहयोग से उपलब्ध हो सकता है”.

ट्रस्ट 6 केंद्रों का कर रहा संचालन: मैनेजिंग ट्रस्टी ललित बहल ने बताया कि “वर्तमान समय में गांव जगतपुर, फैदा समेत कई अन्य जगहों पर वर्ल्ड पीस मिशन ट्रस्ट के करीब 6 केंद्र संचालित है. इन सभी जगहों पर छात्रों को ट्रस्ट द्वारा सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवा शिक्षकों द्वारा बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. यह प्रक्रिया निरंतर जारी है. इसके लिए ट्रस्ट के सदस्यों के अलावा दैनिक और मासिक दानी सज्जनों समेत अन्यों का सहयोग मिलता रहता है. यही कारण है कि ट्रस्ट द्वारा जारी शिक्षा के इस नेक कार्य में कभी कोई कमी नहीं आ सकी है. आगामी समय में सेंटर में कंप्यूटर एजुकेशन, प्लानिंग, इलेक्ट्रिसिटी के अलावा ब्यूटीशियन के कोर्स कराने के बारे में भी विचार किया जाएगा”.

हर साल होता है ऑडिट: ट्रस्ट के खजांची कुलवंत सिंह घई ने बताया कि सेंटर में फाइनेंशियल और नॉन फाइनेंशियल प्रणाली से काम किया जाता है. जैसे कि सेंटर में लगभग सभी वस्तुओं को स्पॉन्सर कराया जाता है, इससे दानी लोगों का भरोसा बढ़ता है और लोग स्थाई तरीके से साथ जुड़ जाते हैं. फाइनेंशियल तरीके से ट्रस्टी घर-घर, दुकानों व अन्य जगहों पर जाकर कैश की कलेक्शन कर रसीद देकर रिकॉर्ड तैयार होता है. रिकॉर्ड का लेजर मेंटेन किया जाता है.

वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध: इसके अलावा, ट्रस्ट के बैंक अकाउंट को ही प्राथमिकता दी जाती है कि लोग सहयोग राशि को सीधे खाते में ही जमा कराएं. बताया कि ट्रस्ट के चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा रिकॉर्ड का ऑडिट किया जाता है. ट्रस्ट के सचिव महानंद शुक्ला ने बताया कि “ट्रस्ट की अपनी वेबसाइट www.wpmtrust.com है. इस वेबसाइट के माध्यम से हर कोई ट्रस्ट की उपलब्धियों, ड्रीम योजनाओं, गतिविधियों, ट्रस्टियों बारे जानकारी, किस प्रकार कार्य किए जाते हैं, किन-किन जगहों पर कक्षाएं लगती हैं, अन्य संपूर्ण प्रणाली के बारे जानकारी और सभी तथ्यों की प्रमाणिकता वेबसाइट के माध्यम से पता लगाई जा सकती हैं”.