छठ पूजा 2025: 36 घंटे के निर्जला व्रत से पहले महिलाएं अपनाएं ये तैयारी तरीके

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चंडीगढ़: 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक छठ पर्व है. इस पर्व में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से चुनौतीपूर्ण माना जाता है. ऐसे में पीजीआई की हेड डिपार्टमेंट और चीफ डाइटिशियन डॉ. नैंसी साहनी से ईटीवी भारत ने बातचीत की और व्रत से पहले और बाद में बरती जाने वाली सावधानियां और डाइट को लेकर जानकारी ली.

36 घंटे का निर्जला व्रत में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां: डॉ. साहनी ने कहा कि, “36 घंटे का व्रत रखने के दौरान महिलाओं को पेट में गैस, थकान, चक्कर, ब्लड प्रेशर में गिरावट, यूरिन संबंधी समस्याएं, सिर दर्द और डिहाइड्रेशन जैसी परेशानियां हो सकती हैं. कई बार महिलाएं बेहोश भी हो जाती हैं. इसलिए व्रत रखना पूरी तरह से अपनी इच्छा और तैयारी के साथ होना चाहिए.”

व्रत से पहले खुद को ऐसे करें तैयार:

  • व्रत शुरू करने से पहले शरीर को पूरी तरह हाइड्रेट करें.
  • जल्दी पचने वाली चीजें खाएं, जैसे हरी सब्जियां और सलाद.
  • व्रत से पहले लौकी और दाल का सेवन किया जाता है, जो कि शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ ही ताकत भी देता है.
  • तला-भुना खाना व्रत से पहले न खाएं, इससे ब्लोटिंग और गैस की समस्या हो सकती है.

व्रत खोलते समय इन बातों का रखें ध्यान:

  • व्रत के बाद हल्की खिचड़ी और दही का सेवन करें.
  • तली हुई चीजें तुरंत न खाएं, इससे शुगर और बीपी बढ़ सकते हैं.
  • धीरे-धीरे पानी और हल्का खाना शुरू करें ताकि शरीर को अनुकूलन का समय मिल सके.

स्वास्थ्य समस्याओं वाले महिलाएं सावधान रहें: डॉ. साहनी ने आगे बताया कि जिन महिलाओं को शुगर, ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां हैं और जिन्हें दवा लेनी पड़ती है, उन्हें 36 घंटे का निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए. व्रत शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.”

व्रत से सेहत को मिलता है लाभ: व्रत रखने से शरीर और दिमाग को शांति मिलती है. शरीर भी रिफ्रेश रहता है, लेकिन तैयारी और सावधानी के बिना यह मुश्किल साबित हो सकता है. ऐसे में अगर आप व्रत रख रहे हैं तो सावधानी के साथ-साथ डायटिशियन की राय लें. साथ ही अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें, ताकि व्रत के दौरान आपको कोई परेशानी न हो और आप स्वस्थ्य रहें.

कल से छठ पर्व की होगी शुरुआत: छठ पर्व की शुरुआत कल यानी कि शनिवार को नहाय खाय से हो जाएगी. ये पर्व 4 दिनों का होता है. पहले दिन नहाय खाय होता है. इस दिन व्रती गंगा में स्नान के बाद लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं. वहीं, दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जल रहती हैं और रात में खीर और रोटी खाकर खरना करती हैं. तीसरे दिन संध्या अर्घ्य होता है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जल रहती हैं. शाम को सूर्य देव को मौसमी फल और ठेकुआ का भोग लगाकर संध्या अर्घ्य देती हैं. इसके दूसरे दिन उषा अर्घ्य होता है. इस दिन व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं.