चंडीगढ़ : पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में सी.बी.आई. जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को याचिकाकर्त्ता से पूछा कि किन परिस्थितियों में जांच को केंद्रीय एजेंसी को सौंपा जा सकता है?
चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय दिशा-निर्देशों और फैसलों का हवाला देने को कहा और सुनवाई स्थगित कर दी। सुनवाई की शुरूआत में लुधियाना निवासी याचिकाकर्ता नवनीत कुमार के वकील ने दलील दी कि जांच कर रहे एक अधिकारी ने भी आत्महत्या कर ली है।
जब वरिष्ठ अधिकारी आत्महत्या कर रहे हैं और दर्जनों आई.ए.एस. व आई.पी. एस. अधिकारियों पर प्रताड़ना के आरोप लगा रहे हैं तो यह गंभीर मामला है। जांच केवल आत्महत्या के प्रत्यक्ष कारणों तक सीमित न रहकर, उस संस्थागत वातावरण की भी पड़ताल करे जिसमें अधिकारी कार्य कर रहे थे जैसे कि किसी प्रशासनिक दबाव, भेदभाव या वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किसी तरह के उत्पीड़न या आपराधिक कदाचार की संभावना। ऐसी स्थिति में किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।
इस पर चीफ जस्टिस नागू ने सवाल किया कि इस मामले में ऐसा क्या असाधारण है कि जांच सी.बी.आई. को सौंपी जाए? सुप्रीम कोर्ट के कौन से फैसले इस पर लागू होते हैं? हर मामले में जांच ट्रांसफर नहीं की जा सकती।

















