चंडीगढ़: हर साल मानसून के महीने में सुखना लेक के पास पड़ने वाले किशनगढ़ गांव के ग्रामीण लगातार कई समस्याओं को झेलने को मजबूर हैं. जब भी सुखना लेक का गेट खोला जाता है. किशनगढ़ के घरों में पानी घुस जाता है. यह वह गांव है जो पानी छोड़े जाने के बाद सबसे पहले प्रभावित होता है.
किशनगढ़ पुल भी पानी में डूब जाता हैः
मानसून के महीने में किशनगढ़ पहला ऐसा गांव है जो शिवालिक पहाड़ियों के नजदीक होने के कारण जलभराव की स्थिति सबसे पहले झेलता है. वहीं सुखना लेक का चोआ का पुल किशनगढ़ में रहने वाले लोगों के लिए एकमात्र रास्ता है जिसके माध्यम से वह चंडीगढ़ शहर में दाखिल होते हैं. इस रास्ते से पीजीआई में नौकरी करने वाले और सरकारी मकान में काम करने वाले लोग इस्तेमाल करते हैं. हर साल जलस्तर ऊंचा होने के बाद जब भी सुखना लेकर गेट खोले जाते हैं तो किशनगढ़ का एकमात्र पुल पूरी तरह पानी की चपेट में आ जाता है.
किशनगढ़ में पक्की सड़कों का अभावः
दूसरी ओर के पास रहने वाले लोगों की हालत भी दयनीय बनी हुई है. जहां अक्सर बारिश का पानी घर में घुस जाता है. पक्की गलियां न बने होने के कारण किशनगढ़ में रह रहे लोगों को कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय नागरिक जस्सी ने बताया कि ” जब पानी छोड़ा जाता है तब किशनगढ़ से घर जाने वाले छात्रों को जबरन छुट्टी लेनी पड़ती है क्योंकि छात्र जिस ऑटो से वे सफर करते हैं वह पुल नहीं पार कर पाते हैं.”
सुखना लेक में गाद की समस्याः
सुखना लेक में गाद भरा हुआ है. 30 सालों से सुखना लेक से मिट्टी (गाद) नहीं निकालने की वजह से जलस्तर बढ़ जाता है. स्थानीय लोगों की मांग है कि अगर सुखना लेख से मिट्टी निकाली जाए तो जल स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं किशनगढ़ के पुराने पुल की जगह नए बनाने का प्रस्ताव जमीन पर नहीं उतर पाया है. सालों पहले यह पुल टूटा हुआ है.
सिर्फ चुनाव में ही हमारी बातें सुनी जाती हैः
स्थानीय निवासी जस्सी ने कहा कि “हम लोग लाल डोरे से बाहर रह रहे हैं. जब भी चुनाव आते हैं सभी नेता हमारी मांगों को पूरा करने के लिए बात करते हैं. लेकिन चुनाव होने के बाद हम लोग लाल डोरे से बाहर कर दिए जाते हैं. मेरे सामने 20 सालों से यह सड़क नहीं बनी है. इस वजह से हर साल मेरे घर में पानी अंदर आ जाता है और हमारा सामान खराब होता है. इस गांव के पंचायत से लेकर पार्षद तक हमारे लिए कुछ नहीं कर पाया.”
किशनगढ़ में ज्यादा विकास कार्य नहीं हुआः
स्थानीय निवासी स्वर्ण सिंह ने कहा कि “मैं यहां पिछले 50 साल से यहां रह रहा हूं. बीते सालों में किशनगढ़ में ज्यादा विकास कार्य नहीं हुए हैं. हम लोगों को इन टूटी सड़कों पर ही चलना पड़ता था. कोई भी राजनेता आज तक किशनगढ़ की समस्याओं को सुलझा नहीं पाया है. हमारे साथ ही गोल्फ ग्राउंड है. वहां हर तरह की सुविधा उपलब्ध है. वहीं किशनगढ़ का पुल पार करते ही सुविधा गायब हो जाती है.”
हमारी समस्याओं पर सरकार ध्यान देंः
बबली का कहना है कि “हमें साफ पानी और सीवरेज की समस्या का सामना करना पड़ता है. पानी की हालत इतनी बुरी है जिसकी वजह से सेहत पर असर पड़ता है. हमारी सिर्फ एक ही मांग है कि यहां की सड़कों को और साफ पानी की पाइपों को ठीक किया जाए.”
चुनाव के बाद हमें नेता भूल जाते हैंः
स्थानीय नागरिक निर्मला ने कहा कि “चुनाव होने से पहले हमें लाल डोरे से अंदर ले लिया जाता है. लेकिन चुनाव होने के बाद हमें लाल डोरे से बाहर कर दिया जाता है.”