हरियाणा में उद्योग और निर्माण कार्यों के लिए आवश्यक चेंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) की अनुमति लेना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत केंद्रीय सरकार के ‘कंप्लायंस रिडक्शन एंड डिरेगुलेशन डॉकेट’ के निर्देशों का पालन करते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने सीएलयू आवेदन प्रक्रिया को सरल बना दिया है।
विभाग के निदेशक अमित खत्री द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अब से आवेदकों को अपनी सीएलयू अनुमति के आवेदन के साथ सिर्फ तीन दस्तावेज जमा कराने होंगे। इनमें स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, जिसमें साइट का विस्तृत विवरण, पहुंच मार्ग और भूमि पर मौजूद विशेषताओं का उल्लेख होगा। इसी तरह इंडेम्निटी बॉन्ड, जो अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के पक्ष में बोर्ड संकल्प या अनुमति पत्र से समर्थित होगा।
इन दस्तावेज़ों को निर्धारित सीएलयू-। फॉर्मेट के साथ तथा नियत जांच शुल्क (सिक्योरिटी फीस) के साथ जमा करना होगा। इस फैसले से निवेशकों, रियल एस्टेट डेवलपर्स और उद्योगपतियों को बड़ी राहत मिलेगी, जो पहले लंबी प्रक्रिया और कागजी औपचारिकताओं से परेशान थे। पहले सीएलयू अनुमति के लिए कई स्तरों पर दस्तावेज़, अनुमोदन और सत्यापन आवश्यक होते थे।
अब प्रक्रिया तेज़, पारदर्शी और समयबद्ध बन जाएगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, यह कदम राज्य में व्यवसाय अनुकूल माहौल बनाने और सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है। नई व्यवस्था 13 अक्तूबर से लागू हो गई है। इस संदर्भ में सभी वरिष्ठ नगर योजनाकारों, जिला नगर योजनाकारों और सहायक नगर योजनाकारों को इसकी सूचना भेज दी गई है।
विभाग ने सभी डीटीपी कार्यालयों को निर्देश दिया है कि वे इस संशोधित व्यवस्था को लागू करें और आवेदकों को नई प्रक्रिया की पूरी जानकारी दें। साथ ही, आदेश को विभागीय वेबसाइट पर भी प्रकाशित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। निदेशक अमित खत्री ने कहा कि यह निर्णय शासन की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत कागज़ी बोझ कम करके पारदर्शिता और कार्यकुशलता बढ़ाई जा रही है। यह कदम राज्य के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स को बेहतर बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

















