हिसार: पूरे हरियाणा में बाढ़ जैसे हालात हैं. नदियां उफान पर होने के कारण प्रदेश के कई जिलों में ग्रामीण इलाके के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी पानी भरा हुआ है. इस बीच हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने हिसार जिले के बिठमड़ा, सरसौद, बिछपड़ी, मैय्यड़, अनीपुरा, गढ़ी, मेहंदा और जीतपुरा गांव का दौरा किया. साथ ही बाढ़ के हालात का जायजा लिया. इस दौरान सीएम ने गांव मेहंदा और ढाणी मेहंदा के लिए 21-21 लाख रुपए की सहायता राशि दी.
मेहंदा और ढाणी मेहंदा गांव को 21-21 हजार की सहायता राशि
हिसार में जलजमाव का जायजा लेने पहुंचे सीएम ने प्रभावित क्षेत्रों में नागरिकों से सीधा संवाद किया और उनकी समस्याओं को लेकर उनसे विचार विमर्श किया. उन्होंने गांव मेहंदा और ढाणी मेहंदा के लिए 21/21 लाख रुपए की सहायता राशि दी. मुख्यमंत्री ने बिछपड़ी और सरसोद के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के नीचे से साइफन बनाकर बरसाती पानी की निकासी के प्रबंध करने के निर्देश भी दिए, ताकि यहां भविष्य में जल भराव ना हो.
CM ने किया ग्रामीणों को आश्वस्त
इस दौरान सीएम सैनी ने ग्रामीणों को आश्वत करते हुए कहा कि, “सरकार इस मुश्किल की घड़ी में उनके साथ खड़ी है. मैंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों से प्राथमिकता के आधार पर जलनिकासी की व्यवस्था की जाए, ताकि लोगों को जल्द से जल्द राहत मिल सके. हर प्रभावित व्यक्ति तक मदद पहुंचाई जाएगी. किसी भी व्यक्ति को भोजन, दवा या आश्रय की कमी नहीं होनी चाहिए. किसानों की फसलों को हुए नुकसान का आंकलन करवाकर उचित मुआवजा दिया जाएगा.जिन परिवारों के मकान या छतें बारिश से क्षतिग्रस्त हुई हैं, उन्हें भी तुरंत प्रभाव से राहत दी जा रही है. किसानों को राहत पहुंचाने के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल शुरू किया गया है, जिस पर वे अपनी खराब फसल का विवरण दर्ज कर सकते हैं”
सीएम ने दिए निर्देश
सीएम ने इस दौरान उपायुक्त को निर्देश दिए कि मौजूदा ड्रेन व्यवस्था के अलावा वैकल्पिक उपाय तुरंत किए जाएं, ताकि जलनिकासी की समस्या का स्थायी समाधान हो. मुख्यमंत्री ने राहत कार्यों की समीक्षा करते हुए संबंधित विभागों को सक्रिय रहने और चौकसी बरतने के निर्देश दिए.
बाढ़ पीड़ितों से मिलने पहुंची सैलजा
वहीं, बाढ़ पीड़ित परिवारों से मिलने आई सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा सरकार पर जमकर हमला बोला. सांसद ने हिसार जिला के कई बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया. इस दौरान कुमारी सैलजा ने कहा, “प्रशासन को हर समय आपदा प्रबंधन के लिए तैयार रहना चाहिए. अभी बाढ़ का खतरा टला नहीं है.सरकार बाढ़-प्रभावित इलाकों का सर्वे कराए, किसानों और आम लोगों को उचित मुआवजा दे. साथ ही भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए स्थायी समाधान तैयार करे. ग्रामीण ही रेत के बैग लगाकर गांव को बचाने में लगे हुए है, जबकि इस कार्य प्रशासन को करना चाहिए था, प्रशासन के पास मशीनरी भी है और बचाव कार्य जल्द किया जा सकता है.”
शीघ्र मुआवजे की मांग
आगे कुमारी सैलजा ने कहा, “एक ठोस कार्य-योजना तैयार होनी चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट हो कि कितनी मात्रा में पानी आ रहा है और उसी के अनुसार समयबद्ध कार्रवाई की जाए, ताकि लोगों को कम से कम नुकसान हो. सरकार को अब जागना होगा और तुरंत राहत कार्यों को गति देनी होगी. जनता की समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए और बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए शीघ्र मुआवजा दिया जाए.”
दीपेन्द्र हुड्डा ने किया प्रभावित क्षेत्र का दौरा
इधर, सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने भी नारनौंद, हांसी के करीब दर्जन भर गांवों और शहरी इलाकों का दौरा किया. उन्होंने बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित गांव भाटोल जाटान, थुराना, कुंभा-जमावड़ी-शेखपुरा ड्रेन, हांसी सिटी, भटला, चन्नोट, घिराई के विभिन्न इलाकों में लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं. इस दौरान दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि, “बरसात का ज्यादा होना और ड्रैन की सफाई न होना ही जलभराव का प्रमुख कारण है. जलभराव के चलते खेतों में फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं और अगली फसल की बिजाई भी संभव नहीं दिख रही है.लोगों ने बताया कि जलभराव से घरों को भी काफी नुकसान हुआ है. पंजाब, उत्तराखंड, कश्मीर, गुजरात समेत कई प्रदेशों ने राहत पैकेज की घोषणा कर दी, लेकिन हरियाणा अकेला ऐसा प्रदेश है जहां कोई राहत पैकेज अब तक घोषित नहीं हुआ. मेरी हरियाणा सरकार से मांग है कि सीएम तुरंत हरियाणा में बाढ़ प्रभावितों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करें.”
“प्राकृतिक आपदा नहीं. बल्कि प्रशासनिक आपदा”
दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि, “हरियाणा में जलभराव केवल प्राकृतिक आपदा नहीं. बल्कि प्रशासनिक आपदा है. जलभराव से राहत दिलाने के लिए सरकार युद्धस्तर पर कार्य शुरू करे. क्षतिपूर्ति पोर्टल खोलकर अपने दरवाजों पर ताला न लगाए . गांव के लोग क्षतिपूर्ति पोर्टल न खुलने की शिकायत कर रहे हैं. तुरंत पोर्टल खोला जाए. जल निकासी के लिए जरूरत के अनुसार पर्याप्त पम्प-सेट, पाइप लाइन और बिजली कनेक्शन समेत अन्य जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए जाए. भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण पिछले 11 साल में कोई नयी ड्रेन नहीं बनवायी गयी. न तो पहले से बनवायी गयी ड्रेन की सफाई हुई.”