यमुनानगर : “सिर पर खाट, कंधे पर बिस्तर और हाथ में आटा…” यह हालत एक बार फिर से खानुवाला गांव के हो गए हैं। सोम नदी के उफान पर आने से ग्रामीणों ने गांव से पलायन शुरू कर दिया है। दरअसल, हिमाचल और मैदानी इलाकों में लगातार हो रही बारिश के चलते सोम नदी में लगभग 20 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। नदी के किनारे बसे खानुवाला गांव के लोगों को बांध टूटने का खतरा सताने लगा है। डर का आलम ऐसा है कि ग्रामीण अपने परिवारों के साथ गांव छोड़ना शुरू कर चुके हैं और रिश्तेदारों व जान-पहचान वालों के घर शरण ले रहे हैं।
एक पीड़ित महिला ने घर के अंदर की जो तस्वीरें दिखाई हैं, वे दिल दहला देने वाली हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए उन्होंने जरूरी सामान दीवारों पर टांग दिया है। फ्रिज और आटे को बचाने के लिए उन्होंने एक ऊंची दीवार बनाकर सामान वहां रख दिया है। महिला ने बताया कि पिछले साल हमारा सारा सामान बर्बाद हो गया था। अब हम नहीं चाहते कि फिर वही नौबत आए। क्योंकि प्रशासन ने पिछले साल की बर्बादी का मुआवजा तक नहीं दिया। उन्होंने बताया कि रात 2 बजे से हम डर के साए में जी रहे हैं। अभी तक खाना तक नहीं बनाया। आटा तो गूंथ लिया था, लेकिन अब गांव छोड़कर जाना पड़ रहा है।
वहीं एक अन्य पीड़ित पुरुष का कहना है कि हमने जरूरी सामान कंधों पर उठाकर गांव से निकलना शुरू कर दिया है। प्रशासन सिर्फ तमाशा देख रहा है। अगर समय रहते जरूरी कदम उठाए जाते, तो शायद आज यह हालात ना होते। ग्रामीणों में इस बार आक्रोश भी साफ नजर आ रहा है। उनका कहना है कि अगर इस बार कोई नेता वोट मांगने आया तो हम पत्थर उठाकर उनकी गाड़ियों के शीशे तोड़ देंगे। हमें सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है, लेकिन हमारी पीड़ा को कोई नहीं समझता।
आपको बता दे कि पिछले साल खानुवाला और चिंतपुर गांव में बाढ़ की ऐसी त्रासदी आई थी कि पूरा गांव जलमग्न हो गया था गांववालों ने छतों पर रात गुजारी थी घर का पूरा सामान खराब हो गया था और बाढ़ से एक व्यक्ति डूबकर भी मर गया था। क्योंकि सोम नदी के बांध टूटने से दर्जनों गांव जल मग्न हुए थे और इस बार भी ग्रामीणों को बांध टूटने का डर सता रहा है।