दिल्ली की टीम करेगी एक्सपायरी दवाओं की जांच, कई ईएसआईसी अधिकारियों और कर्मचारियों पर गिरेगी गाज

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 फरीदाबाद। तीन नंबर ईएसआईसी मेडिकल काॅलेज व अस्पताल में एक्सपायरी दवाओं के मामले में नुकसान का आकलन करने दिल्ली मुख्यालय की टीम यहां आएगी। एक्सपायरी दवाओं की सूची भी मुख्यालय के उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में तैयार की जाएगी।

दिल्ली की टीम ने इस बाबत यहां के अधिकारियों से संपर्क किया है। दवा के मामले में जांच को अगले सप्ताह ईएसआई काॅरपोरेशन के उच्च अधिकारियों के आने की संभावना है।

सूची तैयार करने के बाद रिकार्ड खंगाला जाएगा कि किन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दवाएं एक्सपायर हुईं।

कोरोना संकट के दौर में खरीदी थीं दवाएं

हैरानी की बात है कि अस्पताल आने वाले बहुत से मरीजों को दवाएं नसीब नहीं होती और यहां भारी मात्रा में दवाएं एक्सपायर होकर बेकार हो गईं। बता दें कि स्टोर में जो दवाएं एक्सपायर पाई गई हैं, उनमें से अधिकांश काेरोना संकट के दौर में खरीदी गईं थीं।

बाद में भी खरीदी गईं दवाएं एक्सपायर मिली हैं। एक्सपायरी दवाओं के कार्टून स्टोर से हटा कर यज्ञशाला में रखवाए गए हैं। एक्सपायरी दवाओं के मिलने से पहले

दवाओं और मशीनों की खरीद के मामले में अनियमितताएं पाई जाने पर अगस्त में तत्कालीन डीन

डाॅ. एके पांडेय और पांच फार्मासिस्टों को निलंबित किया जा चुका है। बाद में जब ईएसआईसी मेडिकल काॅलेज के डीन डाॅ. कालीदास दत्तात्रेय चव्हाण ने कार्यभार संभाला तो उच्च अधिकारियों के आदेश पर स्टोर में दवा की स्टाक की जांच की।

इस दौरान वहां भारी मात्रा में एक्सपायरी दवाएं मिलीं। अब यह बात सामने आ रही है कि दवाओं और मशीनों की खरीद के मामले में अनियमितताएं पाई जाने पर तो कार्रवाई की गई है, मगर एक्सपायरी दवा के मामले में अभी सही तरीके से जांच होनी बाकी है।

अब जिस तरह से अस्पताल के दवा स्टोर में कई वर्ष पुरानी दवाएं मिली हैंं, जिनकी डेट एक्सपायर हो चुकी है। इस मामले में कार्रवाई होनी तय है।

अगर सही तरीके से जांच की गई तो कई अधिकारी व कर्मचारी कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं। इस मामले में डाॅ. कालीदास दत्तात्रेय चव्हाण से बातचीत का प्रयास किया गया, मगर बातचीत नहीं हो पाई।

प्रतिदिन आते हैं लगभग पांच हजार मरीज

अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन विभिन्न बीमारियों के लगभग पांच हजार मरीज आते हैं। आपातकालीन विभाग में 24 घंटे में करीब 300 मरीज आते हैं। बहुत से मरीजों को जरूरत के अनुसार पूरी दवाएं नहीं मिल पाती हैं।