विकास की कीमत पर विनाश: उष्मापुर में खनन ब्लास्टिंग से कांपा गांव

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गांव उष्मापुर के क्रशर जोन में 24 घंटे में हो रहे 12 ब्लास्ट और सामग्री लेकर निकल रहे 900 से अधिक डंपर अरावली श्रृंखला को खोखला कर रहे हैं। यहीं नहीं ग्रामीणों का जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है और अब तो उनका गांव में रहना व सांस लेना भी मुश्किल हो चुका है। गांव उष्मापुर में करीबन 250 घर हैं और लगभग 2000 की आबादी है। गांव से 350 मीटर की दूरी पर अरावली श्रृंखला है। गांव के प्रवेश और निकास द्वार पर क्रशर जोन है।

डेढ़ साल से कंपनी कर रही खनन

ग्रामीणों ने बताया कि प्रतिदिन 4 बार ब्लास्ट किए जाता हैं और इसमें हर एक बार 3 ब्लास्ट किए जाते हैं। ब्लास्ट की आवाज पूरे दिन ग्रामीणों के कानों में गूंजती है और इससे उनका चैन भी छिन गया है। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2016 में पहाड़ की नीलामी हुई थी और इस दौरान 33.10 हेक्टेयर भूमि पर खनन की अनुमति दी गई। नीलामी के बाद खनन कंपनी ने कोई काम नहीं किया और अब डेढ़ साल पहले ही कंपनी ने खनन कार्य शुरू किया है।

लोगों को हो रही गंभीर बीमारियां

ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी अंधाधुंध खनन कर रही है और अरावली की इस चोटी को तय सीमा से अधिक दूरी तक खत्म कर दिया है। ग्रामीणों की ओर से इस बारे में पंचायत कर खनन कार्य बंद करवाने का निर्णय लिया ताकि ग्रामीणों को चैन मिल सके और उनका जीवन प्रभावित न हो। हर ब्लास्ट के बाद धूल के गुब्बार उड़ रहे हैं और धूलकण हवा के साथ गांव में पहुंच रहे हैं। गांव में लोगों को सांस की बीमारी हो चुकी है और उनका सांस लेना भी अब दूभर हो गया है। प्रतिदिन उड़ रहे धूल के गुब्बार ग्रामीणों की सांसें फूला रहे हैं।

नीलामी के दौरान भी हुआ था विरोध

ग्रामीणों ने बताया कि नीलामी का ग्रामीणों को पता नहीं था और इस दौरान गांव के करीबन 20 लोग ही पहुंचे थे। ठेकेदार व अधिकारियों के सामने ग्रामीणों ने विरोध किया था, लेकिन उस दौरान अधिकारियों व चुनिंदा लोगों ने विरोध करने वाले ग्रामीणों को मौके से जाने के लिए कह दिया और केवल 20 लोगों के हस्ताक्षर के आधार पर ही नीलामी कर दी गई।

 गांव के 250 में से अधिकांश घरों में आई दरारें 

गांव में करीबन 250 घर हैं और इनमें से अधिकांश घरों में दरारें आई हुई हैं। ग्रामीणों ने बताया कि धमाके के साथ पूरा पहाड़ कांपता है और घरों में भी कई बार जबरदस्त कंपन होता है। इससे घरों में दरारें आ चुकीं हैं और कुछ दीवारों में तो मलबा भी झड़ रहा है। ग्रामीण अनिल कुमार, कमलेश, मुकेश, कुसुमलता, सुरेश देवी आदि ने बताया कि धमाकों से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है और पशु-पक्षी भी अचानक चहक उठते हैं।

जानिये ग्रामीणों की परेशानी, उन्हीं की जुबानी
 
धमाके से गाय व भैंसों का गर्भ नहीं रुक रहा है और अचानक धमाके से पशुओं का गर्भपात हो जाता है। किसानों को आर्थिक नुकसान होता है और साथ ही पशुओं को भी परेशानी होती है।ब्लास्ट के बाद उड़ने वाली धूल गांव में आती है और घर व फसलों पर जम जाती है। धूल जमने से फसल भी खराब हो रही है और किसान लगातार घाटे में जा रहा है। घर में बार-बार सफाई करनी पड़ती है। 

मेरा मकान नया बनाया हुआ है और डेढ़ साल में धमाकों के कारण इसमें काफी दारारें आ चुकी हैं। अब तो हालात ऐसे बनें हैं कि कभी भी दीवार से मलबा गिर जाता है। ग्रामीणों का जीवन अब संकट में है।
दिन-रात चल रहे क्रशर की आवाज न सोने देती है और न ही आराम से रहने देती है। अंदर रहते हैं तो मलबा गिरने का डर रहता है और बाहर आएं तो धमाके व धूल परेशान करते हैं।प्रतिदिन गांव से ओवरलोड डंपर चलते हैं और लोगों का सड़क से निकलना मुश्किल हो गया है। कई बार मैं चोट खाने से बचा हूं। चलते डंपर से पत्थर निकलकर साइड गिर जाते हैं। इससे राहगीर चोटिल हो सकते हैं। ग्रामीणों की ओर से ठेकेदार को समझाया गया है, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी। अब ग्रामीण प्रतिदिन घुट-घुट कर जीवन जी रहे हैं। कंपनी की ओर से अवैध खनन किया जा रहा है और इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

अरावली केवल पहाड़ नहीं हमारी जीवन रेखा : कृष्ण राव

युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्ण राव ने कहा कि अरावली केवल पहाड़ों की शृंखला नहीं, बल्कि हमारी जल, वायु, पर्यावरण और जीवन की रक्षा करने वाली जीवन रेखा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ सुभाष पार्क से लघु सचिवालय तक ‘अरावली बचाओ अभियान’ के तहत विरोध मार्च निकाला और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। नांगल चौधरी से विधायक मंजू चौधरी, युवा कांग्रेस अध्यक्ष पुनीत बलान, रेवाड़ी युवा कांग्रेस अध्यक्ष राज प्रकाश सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।

अरावली रहेगी, तभी हम सुरक्षित रहेंगे : सुमन लता

अरावली बचाओ आंदोलन की ओर से नेताजी सुभाषचंद्र बोस पार्क में आयोजित सम्मेलन में पर्यावरण प्रेमी सुमन लता ने कहा कि अरावली का अस्तित्व रहेगा तभी हमारा अस्तित्व सुरक्षित रहेगा। सम्मेलन में वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि अरावली की नई परिभाषा लागू हुई तो क्षेत्र धीरे-धीरे मरुस्थल में तब्दील हो जाएगा। किसान नेता रामकुमार ने कहा कि अरावली वर्षा आकर्षित करने, जल संरक्षण और भूजल रिचार्ज में अहम भूमिका निभाती है।