इस साल हिसार जिले में कुल 40,600 मिट्टी सैंपल जांचे गए। शोध से स्पष्ट हुआ कि जिले की कृषि भूमि में एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) और आर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम हो रही है। प्रदेश सरकार जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है और इसके लिए मिट्टी की जैविक सेहत को मुख्य आधार बनाया जा रहा है। लगातार कीटनाशकों और कृत्रिम उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, जिससे कृषि उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है। उत्पादन बनाए रखने के लिए किसान मजबूरन रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का अधिक उपयोग कर रहे हैं।
एचएयू का यह तुलनात्मक अध्ययन कृषि भूमि और वन भूमि की पोषक तत्व उपलब्धता की स्थिति को उजागर करता है। शोध से यह साबित हुआ कि वन भूमि में पोषक तत्व और जैविक स्वास्थ्य अधिक है, जबकि कृषि भूमि में यह घट रहे हैं।
कमेटी के सुझाव
– मृदा की जैविक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जैविक पदार्थों का उपयोग बढ़ाएं।
– मृदा की उर्वरता को बढ़ाने के लिए संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें।
– मृदा की संरचना को बनाए रखने के लिए मृदा संरक्षण तकनीकों का उपयोग करें।
– मृदा की उर्वरता को बढ़ाने के लिए फसल चक्र और मिश्रित खेती का उपयोग करें।
शोध का प्रमुख निष्कर्ष
पैरामीटर
वन भूमि में तत्व
कृषि भूमि में तत्व
यूरेज
72.29-83.78
38.36-51.48
अल्कलाइन फॉस्फेट 558.60-937.60
406.80-804.98
डिहाइड्रोजनेज गतिविधि
54.90-65.25
27.13-33.95
सूक्ष्मजीव बायोमास कार्बन
325.84-383.89
107.33-193.33
सूक्ष्मजीव बायोमास नाइट्रोजन
60.32-88.82
28.32-37.02
बैक्टीरियल आबादी
4.94-6.68
3.64-4.60
फंगल आबादी
2.64-4.06
1.84-3.18
एक्टिनोमाइसेट्स आबादी
1.44-2.36
1.10-1.78
उपलब्ध नाइट्रोजन
152.40-209.95
138.25-188.45
उपलब्ध पोटाश
18.52-26.50
15.65-21.30
उपलब्ध फास्फोरस 382.50-480.00
276.00-362.50
किसानों को जैविक- प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना होगा। हमारी कृषि भूमि में पोषक तत्वों की कमी हो रही है। जिसका उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है। किसानों को जमीन में कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए कृत्रिम उर्वरक व कीटनाशकों का उपयोग कम करना होगा।
– प्रो. बीआर कांबोज कुलपति, एचएयू, हिसार
इस साल के लिए 1.20 लाख सैंपल टेस्ट का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें अब तक 48 हजार सैंपल लिए गए हैं। जिसमें 42 हजार सैंपल लैब में जमा हो चुके हैं। इनमें 40600 का टेस्ट किया जा चुका है। अब रबी के सीजन के हिसाब से सैंपल लेने की प्रक्रिया रहेगी। जिले की मिट्टी में मुख्य तौर पर एनपीके तथा आर्गेनिक कार्बन की कमी मिल रही है।