रेवाड़ी। रेवाड़ी पुलिस ने दिल्ली के उत्तम नगर में एक फर्जी कॉल सेंटर के जरिये देश के अलग-अलग राज्यों के 100 से ज्यादा लोगों को ठगने वाले जीजा-साला सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है। गैंग का सरगना अजीत मांझे बिहार का रहने वाला और पोस्ट ग्रेजुएट है, जबकि उसका साला विकास पहले बैंकिंग सेक्टर में नौकरी कर चुका है।
उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और बिहार में सबसे ज्यादा ठगी
पुलिस ने जानकारी दी कि चारों आरोपितों ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, बिहार में ज्यादातर ठगी की वारदातें की। इनमें 20 हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक की ठगी की वारदातों को अंजाम दिया गया। आरोपितों ने इन राज्यों में 150 से ज्यादा वारदातें की है। आरोपित अजीत मांझे बिहार में जिला छपरा के गांव खिजुरी और उसका साला विकास सिवान जिले के जगतपुर गांव का रहने वाला है। वहीं, संदीप व संजय दोनों दिल्ली के उत्तम नगर के रहने वाले हैं।
महिला की आवाज में कॉल कर फंसाते थे शिकार
अजीत मांझे वाॅइस चेंजर के जरिये महिला की आवाज में बात करता था और कॉल के दौरान अकाउंट से जुड़ी जानकारी जुटा लेता था। इसके बाद वह ये जानकारी अपने साले विकास और गैंग के अन्य सदस्यों संदीप व संजय को देता था। आरोपितों ने बिहार में ही कुछ लोगों के बैंक खाते खुलवा रखे थे, जिनके माध्यम से वह ठगी की रकम ट्रांसफर कर लेते थे।
अजीत मांझे ने लंबे समय तक कॉल सेंटर में काम किया था और वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने में माहिर था। इसी हुनर का फायदा उठाकर वह महिला की आवाज में अंजान नंबरों से लोगों को कॉल कर आसानी से फंसा लेता था। इसी तरह उसने 29 मई को रेवाड़ी के गांव फिदेड़ी के रहने वाले नितेश को क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झांसा देकर अकाउंट से जुड़ी जरूरी जानकारी ले ली।
एक ऐप से एक लाख तीन हजार रुपये ट्रांसफर
नितेश की जानकारी अजीत ने विकास, संदीप और संजय को दे दी। तीनों ने मिलकर एक ऐप के जरिये नितेश के खाते से एक लाख तीन हजार रुपये ट्रांसफर कर लिए। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने पूरे गिरोह का पता लगाने के लिए बिहार से लेकर दिल्ली तक छानबीन की।
काॅल सेंटर पर छापा मारकर चारों को पकड़ा
जांच में पता चला कि यह गिरोह दिल्ली के उत्तम नगर स्थित एक फर्जी कॉल सेंटर से ठगी कर रहा था। पुलिस ने छापा मारकर चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।
बिहार में फर्जी खाते खुलवाकर ठगी
डीएसपी हेडक्वार्टर डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि आरोपितों ने अब तक 100 से ज्यादा वारदातें की हैं। रेवाड़ी में चार मामलों को आरोपितों ने कबूल भी किया है। आरोपितों से मोबाइल, सिम कार्ड, क्रेडिट कार्ड सहित कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं। ठगी के लिए बिहार में कुछ लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया जाता था और बदले में उन्हें ठगी की रकम में से 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा दिया जाता था।
सट्टे की लत और नौकरी जाने के बाद बने ठग
डीएसपी ने बताया कि अजीत मांझे, विकास, संदीप और संजय सभी पढ़े-लिखे हैं और पहले अच्छी नौकरी कर रहे थे। 2021 में नौकरी जाने और सट्टे की लत के कारण पैसों की कमी पड़ गई। इसके बाद 2022 में चारों ने मिलकर यह ठग गिरोह बना लिया। गैंग में शामिल संजय और संदीप बैंकिंग सेक्टर में, जबकि विकास कॉल सेंटर में काम कर चुके हैं।