कलायत में किसानों का ई-भूमि पोर्टल के जरिए फर्जीवाड़े का बड़ा आरोप, बोले- “कृषि भूमि बेचने की रची गई साजिश, फर्जी हस्ताक्षर और अंगूठे का किया इस्तेमाल”

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कैथल: कलायत में किसानों ने ई-भूमि पोर्टल पर फर्जी हस्ताक्षर और अंगूठे के इस्तेमाल का आरोप लगाया है. नेशनल हाईवे के पास प्रस्तावित पावर ग्रिड योजना के संदर्भ में कृषि भूमि बेचने की फर्जी सहमति का जाल बनाने वालों के खिलाफ किसान गुस्से में है. किसानों ने अपने हक की आवाज उठाने के लिए जिला उपायुक्त के कार्यालय में दस्तक दी है. इस दौरान कलायत व पिंजुपुरा गांव के किसानों ने फर्जी तरीके से जमीन बेचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है. 300 एकड़ से अधिक भूमि की आवश्यकता वाली इस परियोजना के लिए किसानों ने जमीन देने से इनकार कर दिया है.

जांच पर अड़े किसान: आरोप ये भी कि “पोर्टल पर जिन 405 किसानों की सहमति जमीन बेचने के लिए दर्शाई गई है. उसके एक-एक नाम की जांच कराना जरूरी है. क्योंकि इसमें अधिकांश हस्ताक्षर एवं अंगूठे फर्जी साबित होंगे”. किसानों ने वह रकबा दिखाया, जिसका नक्शा बनाकर उनकी जमीन का मनमर्जी के भाव पर खरीदने का जाल बनाया गया है.

आरोपियों पर कार्रवाई की मांग: किसानों का कहना है कि “ई-भूमि पोर्टल के जरिए न केवल पढ़े-लिखे लोगों को निरक्षर दिखाकर सरकार को गुमराह किया जा रहा है, बल्कि जो लोग दुनिया में नहीं है उनके भी हस्ताक्षर व अंगूठे का इस्तेमाल किया गया है. इससे परिवार के लोगों की भावनाओं भी भारी ठेस पहुंची है. इसलिए आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया जाए”.

आरोपियों की पहचान हो: इसके अलावा, किसानों ने कहा कि “जमीन की रजिस्ट्री पर अविलंब रोक लगे. निजी मुनाफा के लिए जो नटवरलाल सक्रिय है, उनकी सिरे से पहचान करते हुए कार्रवाई की जाए. किसानों को चूना लगाने के लिए सक्रिय नेटवर्क न केवल दिन भर उप-मंडल मुख्यालय में सक्रिय रहता है, बल्कि राजस्व रिकॉर्ड को बपौती मानकर छेड़छाड़ की जा रही है”. किसानों ने हेरा-फेरी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है. किसानों की मर्जी के बिना जमीन बेचने की साजिश रचने वालों के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया है. हर उस किसानों से संपर्क साधा जा रहा है, जिसकी निजी फायदे के लिए जमीन छीनने 1/4 की योजना बनाई गई है.

किसानों का आरोप: किसानों ने कहा कि “कलायत के किसानों के साथ बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है. योगेश कुमार ने अपनी 70 फीसदी सैलरी जताने के लिए सभी किसानों के फर्जी हस्ताक्षर किए हैं. योगेश कोई बाहर का आदमी है और उसने ही सबके फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज तैयार कराए हैं. मरे हुए लोगों के भी हस्ताक्षर किए गए हैं. पढ़े लिखे लोगों के हस्ताक्षर अंगूठा लगाकर किए गए हैं और जो अनपढ़ लोग हैं उनके अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए हुए हैं”.

“किसानों के साथ बड़ा फर्जीवाड़ा”: वहीं, किसानों ने कहा कि “अगर इन हस्ताक्षरों की जांच की जाए तो कहीं पर भी इन हस्ताक्षरों का मिलाप नहीं होगा. क्योंकि हमने कभी इस तरीके के हस्ताक्षर किए ही नहीं है. सभी किसानों का कहना है कि हमारे हस्ताक्षर फर्जी लगाए गए हैं. जिसके चलते किसानों के साथ बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा किया जा रहा है. जमीन देने के लिए हमारी कोई सहमति नहीं है. हमारी जमीन का रेट खुद ही लगाया जा रहा है. हमें पता भी नहीं है कि हमारी जमीन कौन खरीद रहा है और कितने में खरीद रहा है”.

क्या बोले डीएसपी?: वहीं, इस मामले को लेकर डीएसपी वीरभान ने बताया कि “कोई प्राइवेट कंपनी है. सरकार के साथ साझेदारी का कोई वैलिड प्रूफ अभी तक नहीं मिला है. किसानों ने जो शिकायत दी है, उसके संबंध में जांच की जा रही है. अगर किसान इसका विरोध कर रहे हैं, तो मामले की तह तक जांच कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी”.