क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, करीब डेढ़ हजार से अधिक ओवरलोड वाहनों को पहले इंपाउंड किया जा चुका है और भारी जुर्माना भी लगाया गया है, लेकिन इसके बावजूद सड़क पर नियंत्रण नहीं बन पाया। ओवरलोड वाहन चालक आरटीए और पुलिस की निगरानी से बचने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप और अन्य तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ समय पहले आरटीए टीम की सरकारी गाड़ी पर भी जीपीएस लगाने की घटना सामने आई थी, जिस पर केस दर्ज हुआ था।
रात आठ बजे के बाद भी शहर की सड़कें ओवरलोड वाहनों से भरी रहती हैं क्योंकि स्थानीय नाकों से पुलिस हटते ही ये वाहन शहर के अंदर से होकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ जाते हैं। तोशाम क्षेत्र में खनन कार्य से जुड़े वाहन सबसे अधिक प्रभावित हैं जिससे सड़कें धंस रही हैं और यातायात नियमों की भारी अनदेखी हो रही है।
नागरिकों का कहना है कि ओवरलोड वाहन तेज गति से चलते हैं और छोटे वाहन चालक इनसे खुद को बचा नहीं पाते। हादसों का खतरा लगातार बना हुआ है। प्रशासन और संबंधित विभागों को तत्काल ठोस कदम उठाकर इन वाहनों पर नियंत्रण करना आवश्यक है।
ओवरलोड वाहन शहर की सड़कों पर रात में गुजरते हैं। सड़कें धंस चुकी हैं और प्रशासन केवल औपचारिकता निभा रहा है। इन पर ठोस कदम उठाए जाएं।
ये वाहन तेज रफ्तार से चलते हैं और छोटे वाहन चालक आसानी से इनकी चपेट में आ जाते हैं। ओवरलोड वाहनों पर शहर में पूरी तरह पाबंदी लगाई जाए।
भवन निर्माण सामग्री से भरे वाहन लापरवाही से चलते हैं। हादसे होते हैं, लेकिन अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।
जिला यातायात पुलिस की ओर से बताया गया कि तूड़े से भरे ओवरलोड वाहनों की नियमित जांच की जा रही है और शहर में ऐसे वाहनों के प्रवेश पर रोक है। आरटीए की संयुक्त टीम सड़क हादसों पर रोक लगाने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है और वाहनों पर रिफलेक्टर टेप लगाने का कार्य जारी है।