हरियाणा के पाली से हैंड ग्रेनेड के साथ पकड़े गए संदिग्ध आतंकी अब्दुल रहमान ने जो खुलासे किए वो हैरान करने वाले हैं. 19 साल का अब्दुल भले ही दसवीं के बाद स्कूल नहीं गया लेकिन, उसने विस्फोट को डिटोनेटर के साथ बांधने से लेकर तमंचे बनाने तक में महारत हासिल कर रखी है. जांच में सामने आया है कि अब्दुल ने बिना किसी ट्रेनिंग कैम्प में जाए आतंक की पूरी ट्रेनिंग ऑनलाइन ली है. अब्दुल अपने एक करीबी के ज़रिए पहले ISKP के मोड्यूल से जुड़ा हुआ था. वो बैटरी रिक्शा चलाया करता था.
अब्दुल का ब्रेनवॉश करने के लिए पहले उसे कट्टरपंथी जहर उगलने वाले मौलानाओं की स्पीच भेजी गई जिनमें जेहाद करने पर जोर दिया गया था. उसके बाद जब ये पक्का हो गया कि अब्दुल जेहाद के रास्ते पर चलने के लिए पूरी तरह तैयार है उसके बाद अब्दुल की आतंक करने की ऑनलाइन ट्रेनिंग शुरू हुई.
हाई सिक्योर्ड ऑनलाइन एप्लीकेशन पर सबसे पहले एक ग्रुप बनाया जाता है. इस ग्रुप में आतंक के ट्यूटर के अलावा सिर्फ 15 से 20 लड़कों को ही मेम्बर बनाया जाता है. हिंसा में मारे गए लोगों और बच्चों की तस्वीरें डाल कर दिमाग में बदले का जहर भरा जाता है.
इसमें जेहाद से जुड़ा लिट्रेचर भी शेयर किया जाता है. जब तक ये पक्का नहीं हो जाता कि जेहादी लड़का बन चुका है तब तक उसे कमांडर से नहीं मिलवाया जाता है. ग्रुप के जरिए सीधे पाकिस्तान में बैठे कमांडर उन्हें ना सिर्फ़ बम बनाने बल्कि हथियार चलाने से लेकर जासूसी यानी रेकी तक की ट्रेनिंग देते हैं और इसी ग्रुप में उन्हें टास्क भी दे दिया जाता है.
पेन ड्राइव के जरिेए दिया जाता था टास्क
लड़कों को टास्क पेन ड्राइव के ज़रिए और ड्राफ्ट मेल में भी दिया जाता है. ठीक इसी तरह अब्दुल के पास से बरामद पेंड्राइव में कोडेड भाषा में कई डॉक्यूमेंट बरामद हुए हैं. दरअसल, पकड़े गए संदिग्ध आतंकी अब्दुल से पूछताछ में खुलासा हुआ कि आतंक की ऑनलाइन क्लास के कारण कमांडर और मेम्बर का पकड़ा जाना काफी मुश्किल होता है. अब्दुल को भी बम बनाने से लेकर हथियार तैयार करने और चलाने तक की ट्रेनिंग ऑनलाइन क्लास के ज़रिए ही दी गई थी. इतना ही नहीं अब्दुल ने कमांडर के कहने पर धार्मिक स्थलों की फोटो और वीडियो भी जंगी ग्रुप में शेयर की थी.
जांच एजेंसियों के रडार में कैसे आया?
19 साल का अब्दुल सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए जांच एजेंसियों के रडार पर आया. सोशल मीडिया की वजह से ही अब्दुल पुलिस की गिरफ्त में आया. अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स के ज़रिए ही अब्दुल अबू सूफियान के संपर्क में आया था. करीब डेढ़ साल से अब्दुल रहमान सोशल मीडिया एकाउंट्स पर भड़काऊ वीडियो अपलोड करता था. सबसे पहले अब्दुल ने TIKTOK पर अपना अकाउंट बनाकर भड़काऊ वीडियो डालना शुरू किया. TIKTOK पर बैन लगने के बाद अब्दुल ने इंस्टाग्राम पर अपना अकाउंट बनाया.
ब्रेनवॉश कर आतंक की ऑनलाइन ट्रेनिंग
इंस्टाग्राम अकाउंट पर अब्दुल ने कई भड़काऊ वीडियो और तकरीरे डालना शुरू किया. इसके चलते कई बार सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम ने अब्दुल के एकाउंट्स को स्ट्राइक डाउन किया. इन्हीं भड़काऊ वीडियो को देखकर अब्दुल आतंकी अबू सूफियान की नजरों में चढ़ गया. इसके बाद अब्दुल रहमान को ISKP-AQIS ने ब्रेनवॉश कर आतंक की ऑनलाइन ट्रेनिंग देनी शुरू की.
इसके साथ ही बार-बार अकाउंट पर स्ट्राइक आने के बाद ही वो जांच एजेंसियों के रडार पर आ गया था. हरियाणा एसटीएफ, गुजरात एसटीएफ, यूपी एसटीएफ ने अब्दुल को ट्रैक करना शुरू कर दिया.
हरियाणा एसटीएफ जल्द अब्दुल के सोशल मीडिया एकाउंट्स की डिटेल हासिल करने के लिए इंस्टाग्राम समेत कई अन्य प्लेटफार्म को चिट्ठी लिखने जा रही है. महज छह हफ्तों की ऑनलाइन ट्रेनिंग के बाद सभी ग्रुप को बंद कर दिया जाता है. ठीक इसी तरह अब्दुल ने भी अपने फ़ोन से कमांडर के कहने पर कई एप्लिकेशंस डिलीट की थी, जिन्हें रिट्रीव करने के लिए मोबाइल FSL को भेज दिया गया है.