हरियाणा में खेती करने वाला बड़ा तबका इस समय भारी कर्ज के दबाव में है। राज्य सरकार ने विधानसभा में जो ताजा रिपोर्ट पेश की है, उसने किसानों की आर्थिक हालत की गंभीर तस्वीर सामने रख दी है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 25 लाख से अधिक किसान कर्जदार हैं और उन पर 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कृषि ऋण बकाया है। रानियां से इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला के सवाल के जवाब में सरकार की ओर से सदन के पटल पर रखी गई।
सरकार द्वारा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक, 30 सितंबर तक हरियाणा में कुल 25 लाख 67 हजार 467 किसानों पर 60 हजार 816 करोड़ रुपये का कृषि ऋण बकाया है। यह कर्ज सहकारी बैंकों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से लिया गया है। रिपोर्ट बताती है कि लगभग हर जिले में बड़ी संख्या में किसान कर्जदार हैं।
कर्जदार किसानों और बकाया राशि के मामले में हिसार, करनाल और सिरसा जिले शीर्ष पर हैं। हिसार जिले में 2 लाख 71 हजार से ज्यादा किसानों पर करीब 5934 करोड़ रुपये का कर्ज है। करनाल में 2 लाख से अधिक किसानों पर 4673 करोड़ रुपये बकाया हैं। वहीं सिरसा जिले में लगभग 1 लाख 98 हजार किसान कर्जदार हैं। इसके अलावा भिवानी, फतेहाबाद, जींद और महेंद्रगढ़ जैसे जिलों में भी किसानों पर हजारों करोड़ रुपये का ऋण दर्ज है।
अर्जुन चौटाला द्वारा उठाए गए सवाल के बाद किसान कर्ज का मुद्दा एक बार फिर सियासी बहस के केंद्र में आ गया है। विपक्ष का कहना है कि सिर्फ योजनाओं की घोषणा से नहीं, बल्कि ठोस और स्थायी समाधान से ही किसानों को कर्ज के चक्र से बाहर निकाला जा सकता है। सरकारी आंकड़े यह संकेत देते हैं कि हरियाणा में किसान कर्ज एक बड़ी चुनौती बना हुआ है, जिस पर आने वाले समय में सरकार की नीतियों और फैसलों की कड़ी परीक्षा होने वाली है।
सरकार ने सदन को यह भी बताया कि किसानों को राहत देने के लिए समय-समय पर एकमुश्त समाधान योजना लागू की गई। 2019 में इस योजना के तहत 3 लाख 8 हजार से अधिक किसानों को करीब 1348 करोड़ रुपये का लाभ मिला। 2022 में 17,847 किसानों को 66 करोड़ रुपये की राहत दी गई। सरकार ने स्पष्ट किया कि एकमुश्त समाधान योजना की अवधि को अब 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया है, ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका फायदा मिल सके।
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के नियमों के अनुसार किसानों को कृषि ऋण पर ब्याज में छूट दी जाती है। साथ ही, जरूरत पड़ने पर भविष्य में एकमुश्त निपटान योजना और अन्य ब्याज माफी योजनाओं को दोबारा लागू करने या उनकी समय-सीमा बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है।
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक अंबाला, भिवानी, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सोनीपत और यमुनानगर समेत लगभग हर जिले में हजारों से लेकर लाखों किसान कर्ज के दायरे में हैं। यह आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि खेती की बढ़ती लागत और सीमित आमदनी ने किसान परिवारों को लगातार कर्ज पर निर्भर बना दिया है।

















