हरियाणा साइबर ठगों के खिलाफ देश का मॉडल राज्य बना, हेल्पलाइन 1930 बनी डिजिटल सुरक्षा की मजबूत ढाल

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पंचकूला: देशभर की जांच एजेंसियों के लिए मौजूदा समय में साइबर अपराध सबसे गंभीर और पेचीदा चुनौती बन चुका है. चाहे पुलिस बल हो, आर्थिक अपराध शाखाएं या फिर अन्य बड़ी जांच एजेंसियां, सभी के लिए साइबर ठगों का डिजिटल जाल तोड़ पाना बेहद कठिन हो गया है. ये अपराध अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल चुके हैं. देश-विदेश में बैठे साइबर अपराधी महज कुछ सेकंड में आम लोगों के बैंक खाते साफ कर दे रहे हैं. बीते वर्षों में ठगों ने फर्जी ऑफर, इनाम या बैंकिंग सहायता के नाम पर लोगों को लालच देकर उनकी संवेदनशील जानकारी हासिल की और करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया.

फिशिंग, सिम क्लोन और रिमोट ऐप से उड़ रहे करोड़ों: हरियाणा डीजीपी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अब परंपरागत जेबकतरी या चेक जालसाजी की जगह साइबर ठग ओटीपी चोरी, पासवर्ड फिशिंग, सिम क्लोनिंग, यूपीआई रिक्वेस्ट का दुरुपयोग और रिमोट/स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं.ये अपराधी नकली निवेश प्लेटफॉर्म, फर्जी क्रिप्टो करेंसी ऐप्स और सोशल मीडिया पर वायरल फर्जी पोर्टफोलियो डैशबोर्ड के जरिए पीड़ितों को बड़ी रकम का झांसा देकर ठगी कर रहे हैं. तेजी से बढ़ती यह डिजिटल ठगी अब सिर्फ तकनीकी हमला नहीं, बल्कि समाजिक व आर्थिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन गई है.

“डिजिटल गिरफ्तारी” घोटाला: हरियाणा पुलिस की साइबर यूनिट के अधिकारियों ने एक नई और खतरनाक प्रवृत्ति की पहचान की है, जिसे “डिजिटल गिरफ्तारी” घोटाले के रूप में जाना जा रहा है. इसमें साइबर ठग वीडियो कॉल के जरिए खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और उनसे पैसों या संवेदनशील जानकारी की उगाही करते हैं.यह ठगी का ऐसा रूप है जो मनोवैज्ञानिक दबाव के जरिए आम लोगों को फंसाता है.अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के अपराधों का दायरा अंतरराष्ट्रीय हो चुका है और यह वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का विषय है.अनुमान है कि साल 2025 तक साइबर अपराधों से वैश्विक नुकसान 10.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है.

हरियाणा पुलिस की सक्रियता से आया सुधार: हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर के नेतृत्व में राज्य ने साइबर अपराध के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है. बीते दो वर्षों में पुलिस की सक्रियता से साइबर धोखाधड़ी की रकम में करीब 50% की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं, वसूली दर 10% से बढ़कर 2025 में 45% तक पहुंच गई है. साइबर अपराधियों की गिरफ्तारियों में भी बड़ा इजाफा हुआ है, जहां पहले रोजाना औसतन 5 गिरफ्तारियां होती थीं, अब यह संख्या 22 प्रतिदिन तक पहुंच गई है. ये आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि हरियाणा पुलिस साइबर सुरक्षा को लेकर पूरी तरह मुस्तैद है.

साइबर हेल्पलाइन 1930 बनी लोगों की डिजिटल सुरक्षा ढाल: हरियाणा पुलिस ने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 को तकनीकी और मानव संसाधनों से सशक्त बनाकर देश की सबसे प्रभावी हेल्पलाइनों में से एक बना दिया है. इस हेल्पलाइन में प्रशिक्षित अधिकारी, समर्पित कॉल टर्मिनल, और प्रमुख बैंकों के नोडल अफसरों की 24×7 टीम मौजूद है, जो तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए ठगी की गई राशि को समय रहते ब्लॉक करने में सक्षम है. यह त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली हजारों लोगों को वित्तीय नुकसान से बचाने में सफल रही है, जिससे हरियाणा साइबर अपराध के खिलाफ देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है.

संदिग्ध बैंक खातों की पहचान:

1. म्यूल अकाउंट टारगेट (MAT) टीम धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले संदिग्ध बैंक खातों की पहचान कर उन्हें ब्लॉक करने वाली एक विशेष इकाई है. पिछले दो वर्षों में 6.5 लाख से अधिक म्यूल खातों की सूचना बैंकों को दी गई है, जिससे उनका दोबारा इस्तेमाल रोका जा सके.

2. मोबाइल और IMEI ब्लॉकिंग की दिशा में उक्त अवधि में 1.7 लाख से अधिक धोखाधड़ी वाले मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए हैं, जिससे अपराधियों के संचार माध्यम बाधित हुए हैं.

9770 साइबर अपराधी हुए गिरफ्तार: हरियाणा पुलिस ने जनवरी 2024 से अगस्त 2025 के बीच अब तक लगभग 9770 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. इनमें बड़ी संख्या में अपराधी अन्य राज्यों से जुड़े हुए हैं, लेकिन हरियाणा की साइबर यूनिट की सक्रियता और तेजी से की गई कार्रवाई ने राज्य की सीमाओं से बाहर के नेटवर्क पर भी शिकंजा कस दिया है. यह सफलता हरियाणा पुलिस के तकनीकी दक्षता और समन्वित प्रयासों का परिणाम है.

जन-जागरूकता बना सबसे अहम हथियार: हरियाणा पुलिस यह मानती है कि साइबर अपराध से निपटने के लिए जन-जागरूकता सबसे अहम हथियार है.इसी सोच के साथ 2024-25 के बीच 8,000 से अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं. प्रत्येक महीने के पहले बुधवार को “साइबर जागरूकता दिवस” और अक्टूबर माह को “राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह” के रूप में मनाया जा रहा है.इन कार्यक्रमों में नागरिकों को ठगी के नए तरीकों से सतर्क रहने, हेल्पलाइन (1930) का सही उपयोग करने और डिजिटल व्यवहार में सतर्कता बरतने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.

हरियाणा बना साइबर सुरक्षा का मॉडल राज्य: हरियाणा पुलिस का मानना है कि डिजिटल अपराधों की प्रकृति तेजी से बदल रही है, और पारंपरिक अपराध अब उन्नत तकनीकों के साथ मिलकर जटिल ऑनलाइन खतरों में बदल चुके हैं. ऐसे में तकनीकी दक्षता, वित्तीय संस्थानों के साथ समन्वय, प्रशिक्षित साइबर टीमें और जन-जागरूकता-इन सभी का संगठित उपयोग ही साइबर अपराधों पर ठोस नियंत्रण का रास्ता है. हरियाणा का यह सक्रिय, सहयोगात्मक और तकनीक-संचालित मॉडल न सिर्फ राज्य के लिए, बल्कि देश के अन्य हिस्सों के लिए भी एक प्रभावी और अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरा है.