हरियाणा में एक्सटेंशन लेक्चरर्स को हाईकोर्ट से झटका, 58 साल से ज्यादा सेवा विस्तार की अनुमति नहीं, याचिका खारिज

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पंचकूला: हरियाणा में कॉलेज एक्सटेंशन लेक्चरर्स को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने साफ कहा कि “विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के तहत 70 साल तक सेवा का प्रावधान नियमित लेक्चरर के लिए होता है, न कि एक्सटेंशन लेक्चरर्स पर”. कोर्ट के इस फैसले के बाद एक्सटेंशन लेक्चरर्स को अब 58 वर्ष की आयु से अधिक सेवा विस्तार नहीं मिल सकेगा. क्योंकि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 58 से अधिक आयु में सेवा विस्तार देने से साफ इनकार कर दिया है.

सहायक प्रोफेसर की याचिका खारिज

हाईकोर्ट के जस्टिस त्रिभुवन दहिया द्वारा यह आदेश रीता टंडन व अन्य द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए पारित किया गया. इस मामले में याचिकाकर्ता अंबाला के पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में हिंदी विषय में एक्सटेंशन लेक्चरर के रूप में वर्ष 2012 से कार्यरत हैं. उन्होंने ही 58 वर्ष की आयु से अधिक सेवा जारी रखने की मांग की थी.

याचिका में दावा किया गया था कि “यूजीसी नियम 2018 सहायक प्रोफेसर को 70 वर्ष की आयु तक अनुबंध पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति देते हैं”. याचिकाकर्ताओं ने 13 मई 2023 की संशोधित नीति व दिशा-निर्देशों के खंड 27 को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें कहा गया है कि कोई भी पात्र एक्सटेंशन लेक्चरर 58 वर्ष की आयु से अधिक सेवा में नहीं रखा जाएगा. याचिका में दलील दी गई कि याचिकाकर्ता हिंदी में पात्र एक्सटेंशन लेक्चरर के रूप में कार्यरत है.

हरियाणा सरकार का कड़ा विरोध

 हरियाणा सरकार ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए तर्क दिया कि “एक्सटेंशन लेक्चरर की सेवा को 58 वर्ष से अधिक बढ़ने का कोई प्रावधान नहीं है. विभाग में नियमित सहायक प्रोफेसर भी इसी आयु में सेवानिवृत होते हैं”. सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस दहिया ने पाया कि मई 2023 की नीति पात्र एक्सटेंशन लेक्चरर के लिए अधिकतम आयु 58 वर्ष निर्धारित करती है, जो नियमित शिक्षकों और सहायक प्रोफेसर के लिए निर्धारित आयु के समान है.

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि “इसमें कुछ भी मनमाना या अवैध नहीं है. यूजीसी नियम केवल नियमित सहायक प्रोफेसरों, सहायक प्रोफेसरों और प्रोफेसरों के लिए लागू होते हैं. हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों के मद्देनजर याचिका को खारिज कर दिया”.