हरियाणा: विश्व का सबसे बड़ा फूड डेस्टिनेशन बनेगा ‘मुरथल’, कुंडली-समालखा तक होगा विस्तार

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सोनीपत: अगर आपको भी स्वादिष्ट खाने का शौक है तो एक बार हरियाणा (Haryana) के मुरथल (Murthal) जरूर जाएं। सोनीपत में बसी इस जगह का अमरीक सुखदेव ढाबा (Amrik Sukhdev Dhaba) अपने पराठों के लिए दुनियाभर में फेमस हो गया है। 25 वर्ष में मुरथल एशिया का सबसे बड़ा फूड डेस्टिनेशन बन गया।

यहां Celebrity व NRI भी खाने आते हैं मशहूर परांठा

बता दें कि एनएच-44 किनारे 1950 में सीताराम ने पहला ढाबा खोला। 2000 तक 15 ढाबे खुले। अब 15 K.M में 70 से ज्यादा आलीशान ढाबे बन गए है। कहने को तो ढाबे हैं, लेकिन यहां की सुविधा और स्वाद 5 स्टार होटल से भी ऊपर है। सेलिब्रिटी व एनआरआई भी तंदूर वाला मशहूर परांठा खाने आते हैं। हरियाणा, दिल्ली, यूपी से लोग रोज पहुंचते हैं। पंजाब, जम्मू, उत्तराखंड, हिमाचल जाने वाले पर्यटकों भी खाना खाते हैं। यहां साउथ इंडियन, नॉर्थ इंडियन, मिठाई से लेकर विदेशी जायका तक मिलता है।

पहले ट्रक ड्राइवर आते थे, अब 24 घंटे लग्जरी कारों में लोग आते हैं। ढाबों का सालाना कारोबार 10 करोड़ से बढ़कर 160 करोड़ से ज्यादा हो गया। 8 हजार से ज्यादा लोग कुकिंग, सविंग, मैनेजमेंट व सिक्योरिटी करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि खरखौदा में आईएमटी, राई में एजुकेशन सिटी, गन्नौर में बागवानी मंडी आने से मुरथल में सरोवर पोर्टिका, रमाडा, ग्रैंड जैसे बड़े ग्रुपों ने भी होटल बना लिए। यहां 2050 तक वर्ल्ड का सबसे बड़ा फूड डेस्टिनेशन बन सकता है।

मुरथल के ढाबों पर मिलता है शाकाहारी खाना 

ढाबों को आकर्षक लुक देने के लिए ऑर्किटेक्ट व डिजाइनर हायर किए जा रहे हैं। ढाबों के पास मोजोलैंड, जुरासिक पार्क जैसे वाटर पार्क व फन जोन बन गए। खेतों के बीच कई टूरिज्म फार्म बन गए। वेडिंग इवेंट के लिए कई बैंक्वेट हॉल बन चुके हैं। फिल्मी सितारे व फूड इंडस्ट्री से जुड़े उद्योगपति भी यहां पैसा लगा रहे हैं। अभिनेता धर्मेंद्र के नाम पर ढाबा खुला। ग्रेट खली रेसलिंग एकेडमी व ढाबा बना रहे हैं। मुरथल के ढाबों पर सिर्फ शाकाहारी खाना मिलता है।

राजाना आते हैं 50 हजार से ज्यादा लोग

हाईवे ढाबा एसोसिएशन के प्रधान मंजीत सिंह का दावा है कि मुरथल में ढाबों पर रोज 50 हजार से ज्यादा लोग खाने के लिए आते हैं। 2050 तक रोज 2 लाख लोग आने लगेंगे। अमरीक-सुखदेव ढाबा हाईवे पर सबसे ज्यादा विजिट किया जाने वाला स्थान है। यहां रोज करीब 10 हजार लोग आते हैं। 1956 में सरदार प्रकाश सिंह ने डाबा खोला था।