हरियाणा ने एनीमिया उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए देशभर में दूसरा स्थान हासिल किया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 की पहली तिमाही में हरियाणा ने यह मुकाम हासिल किया है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष राज्य इस सूची में आठवें स्थान पर था।
एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत किया जा रहा व्यापक कार्य
राज्य सरकार द्वारा ‘एनीमिया मुक्त भारत अभियान’ के तहत विभिन्न आयु वर्गों को लक्षित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:-
- 6 से 59 महीने तक के बच्चे
- 5 से 9 वर्ष के बच्चे
- 10 से 19 वर्ष के किशोर
- गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाएं
प्रजनन आयु की महिलाएं
रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा ने 6 से 59 महीने तक के 77 प्रतिशत बच्चों और 5 से 9 वर्ष के 95 प्रतिशत बच्चों को इस अभियान के दायरे में लाया है। किशोरों की श्रेणी में यह कवरेज 95 प्रतिशत और प्रजनन आयु एवं गर्भवती/स्तनपान कराने वाली महिलाओं में 93 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि राज्य धीरे-धीरे एनीमिया जैसी गंभीर समस्या से बाहर निकलने की दिशा में अग्रसर है।
अब भी चुनौतियां बरकरार
हालांकि उपलब्धियां सराहनीय हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया के मामलों में हरियाणा देशभर में 11वें स्थान पर है, जबकि चंडीगढ़ 12वें स्थान पर है। हरियाणा में इस आयु वर्ग की 60.4% महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। तुलना करें तो पंजाब में यह दर 58.7% और हिमाचल प्रदेश में 53.0% है। यानी हरियाणा में एनीमिया से ग्रसित महिलाओं की दर पंजाब से 3.2% और हिमाचल से 7.5% अधिक है।
‘6x6x6’ मॉडल बना सफलता की कुंजी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), हरियाणा के निदेशक डॉ. वीरेंद्र यादव ने बताया कि राज्य ने ‘6x6x6’ मॉडल को प्रभावी रूप से लागू किया है। इस मॉडल के अंतर्गत छह आयु समूहों को, छह प्रमुख हस्तक्षेपों के जरिए, छह संस्थागत तंत्रों के माध्यम से लक्षित किया गया। डॉ. यादव ने कहा, “हम समझते हैं कि स्तनपान कराने वाली माताओं को इस अभियान से जोड़ना एक बड़ी चुनौती है, जिस पर विशेष रूप से काम किया जा रहा है। हमारा लक्ष्य हरियाणा को पूरी तरह से एनीमिया मुक्त बनाना है, और इसके लिए हम सतत प्रयासरत हैं।”