हरियाणा के पहले मदर मिल्क बैंक ने 200 नवजातों को दिया जीवनदान

SHARE

हरियाणा के रोहतक स्थित पीजीआईएमएस (PGIMS) में राज्य का पहला मदर मिल्क बैंक स्थापित किया गया है, जिसने अब तक 200 से अधिक नवजात शिशुओं को जीवनदान दिया है। यह बैंक पिछले महीने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत 40 लाख रुपये की लागत से शुरू किया गया था।

इस बैंक की सबसे भावुक कहानी 15 अगस्त को जन्मी एक बच्ची की है, जिसे जन्म के तुरंत बाद अपनी मां का दूध नसीब नहीं हो पाया। बच्ची की मां, 32 वर्षीय मनीषा, उसी दिन रोहतक-झज्जर रोड पर हुए सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई थीं और आईसीयू में भर्ती रहीं। बच्ची का जन्म केवल 32 सप्ताह की गर्भावस्था में हुआ था, और उसका वजन मात्र 1.7 किलो था।

डॉक्टरों ने अथक प्रयास कर बच्ची को बचा लिया, लेकिन पांच दिन बाद मनीषा की मृत्यु हो गई। इसके बाद बच्ची को मदर मिल्क बैंक से उपलब्ध कराए गए दूध से पोषण दिया गया, जिससे उसकी जान बच सकी। 1 सितंबर को उसे नवजात वार्ड से छुट्टी दे दी गई।

दूध दान का बढ़ता महत्व

अस्पताल के प्रसूति वार्ड में कई ऐसी महिलाएं होती हैं, जिनके पास अतिरिक्त दूध होता है। इन्हीं में से एक हैं बहादुरगढ़ की 25 वर्षीय गृहिणी गौरा, जिन्होंने बेटी को जन्म देने के बाद दूध दान करने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया, “नर्स ने सुझाव दिया और मैंने तुरंत मान लिया। यह एक नेक कार्य है और इससे मेरा दर्द भी कम हुआ। मैं पिछले पांच दिनों से दूध दान कर रही हूं।”

डॉक्टरों की पहल और जागरूकता अभियान

मदर मिल्क बैंक ने केवल एक महीने में लगभग 25 लीटर दूध एकत्र किया है, जिसमें से 21 लीटर का उपयोग नवजातों को जीवन रक्षक पोषण देने में किया गया है। पीजीआईएमएस के डॉक्टर हर दिन 40 से 50 प्रसव कराते हैं। अब अस्पताल का स्तनपान सहायक स्टाफ नियमित रूप से प्रसूति वार्ड का दौरा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि जिन माताओं के पास अतिरिक्त दूध है, उन्हें दूध दान के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

एक डॉक्टर ने बताया, “फिलहाल हम व्यवस्था को सही तरह से चला रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ेगी, समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ेगी, जिससे दूध की मांग भी अधिक होगी।”