रेडक्रॉस के सचिव प्रदीप कुमार ने बताया कि इस महाअभियान का उद्देश्य केवल सरकारी औपचारिकता पूरी करना नहीं, बल्कि समाज के सबसे जरूरतमंद वर्ग को सशक्त बनाना था। उन्होंने बताया कि प्रशासन के सहयोग से रेडक्रॉस द्वारा यह सराहनीय पहल आठ दिसंबर को शुरू की गई थी, जो कि रविवार को संपन्न हुई।
इस दौरान पूरे जिले में खंड स्तर पर सहायक उपकरण के लिए जांच शिविर आयोजित किए गए, ताकि ग्रामीण अंचल के दिव्यांगों और बुजुर्गों को जिला मुख्यालय तक दौड़ न लगानी पड़े।
सचिव प्रदीप ने बताया कि रविवार को जिला रेडक्रॉस भवन में आयोजित अंतिम शिविर में बड़ी संख्या में लाभार्थियों ने पंजीकरण कराया। विशेषज्ञों की टीम ने मौके पर मौजूद लोगों की शारीरिक जांच की और उनकी आवश्यकता के अनुसार कृत्रिम अंगों व उपकरणों के लिए उनका नाम दर्ज किया।
सचिव प्रदीप ने कहा कि इन शिविरों का ध्येय केवल मशीनी उपकरण बांटना नहीं है, बल्कि बुढ़ापे की लाठी बनना और दिव्यांगजनों को वह आत्मविश्वास देना है जिससे वे समाज में सम्मान के साथ जी सकें। इस अभियान में अरावली पावर कंपनी प्रा. लिमिटेड, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार, एलिम्को का भी सहयोग रहा।
सचिव प्रदीप ने बताया कि शिविर में मुख्य रूप से मोबिलिटी उपकरण : मोटराइज्ड तिपहिया साइकिल, व्हीलचेयर, बैसाखी, वॉकर और ट्राईपॉड/क्वाडपॉड, कान की मशीन, सीट वाली छड़ी, नी-ब्रेस, स्पाइनल सपोर्ट, सर्वाइकल कॉलर, लम्बोसैक्रल बेल्ट, चेयर कमोड और सिलिकॉन सीट के लिए पंजीकरण किया गया।
इस अवसर पर जिला प्रशिक्षण अधिकारी विकास कुमार, सहायक जोगिंदर सहरावत, जयभगवान, आरसीआईटी प्रबंधक संजय कुमार, गोविंद, पुनर्वास विशेषज्ञ मोहित कुमार वर्मा, ऑडियोलॉजिस्ट सुशील सिंह, पुरुतोष कुमार, जयपाल सिंह आदि मौजूद रहे।