हरियाणा में पर्यावरण प्राधिकरण न होने पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार से मांगा हलफनामा

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चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए खनन एवं भूविज्ञान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि फरवरी 2025 के बाद से राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण  का गठन अब तक क्यों नहीं किया गया। अदालत ने राज्य सरकार और भारत सरकार के संबंधित विभागों के बीच हुई पूरी पत्राचार की प्रतियां भी पेश करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर की खंडपीठ ने एम एस दर्श मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड और एक अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे नबीआबाद सैंड यूनिट, जिला करनाल में रेत खनन के सफल बोलीदाता रहे हैं। वर्ष 2022 में उन्हें नौ साल के लिए खनन पट्टा आवंटित किया गया था। नियमानुसार पर्यावरण स्वीकृति राज्य की संस्था राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण द्वारा दी जानी थी, जो शुरू में एक वर्ष के लिए दी गई। बाद में केवल तीन माह का विस्तार किया गया, जबकि उनका खनन प्लान पाँच वर्ष के लिए स्वीकृत था। राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति  ने आगे विस्तार की सिफारिश भी कर दी थी, लेकिन राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के गठन न होने के कारण पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई। याचिकाकर्ता के अनुसार, केंद्र सरकार की 2022 की अधिसूचना के अनुसार पर्यावरण स्वीकृति पूरी खनन अवधि तक दी जानी चाहिए थी।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हरियाणा में कई वैध खनन इकाइयां केवल अनुमति न मिलने के कारण बंद पड़ी हैं। इससे राज्य में अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है और सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है।

खंडपीठ ने अपनाया कड़ा रुख

कड़ा रुख अपनाते हुए खंडपीठ ने कहा कि मामले के तथ्यों को देखते हुए सरकार यह बताए कि फरवरी 2025 के बाद से राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण का गठन क्यों नहीं किया गया। साथ ही केंद्र सरकार के विभागों के साथ हुई संपूर्ण पत्राचार की प्रतियां भी हलफनामे के साथ प्रस्तुत की जाएं।

18 नवंबर को अगली सुनवाई

अदालत ने अपने विस्तृत आदेश में यह भी दर्ज किया कि याचिकाकर्ताओं के अनुसार राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति के लिए भेजी गई सिफारिशें केंद्र सरकार ने इस आधार पर स्वीकृत नहीं कीं कि उम्मीदवारों में निर्धारित योग्यता की कमी थी।
मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है।