महिला फुटबॉल में हिसार का जलवा: 35 से अधिक लड़कियों ने जीते नेशनल मेडल, गांव बना ‘खान’

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हिसार : हिसार जिले से महज 13 किलोमीटर दूर एक मंगाली गांव है। एक समय था जब यह मंगाली गांव बुहत साधारण होता था, लेकिन आज इसकी पहचान बिल्कुल ही बदल गई है। यहां की हवा में पसीने की महक और पैरों में फुटबॉल का जुनून है।

बता दें कि ये गांव 700 से ज्यादा महिला फुटबॉलर दे चुका है। इस क्रांति का बीज मास्टर नरेंद्र कुमार जैसे निःस्वार्थ कोच ने बोया।  साल 2004 में जब सिर्फ 6-7 लड़कियां खेलने आईं। कौन जानता था कि यह चिंगारी एक मशाल बनेगी? कोई शुल्क नहीं, बस समर्पण। सुबह-शाम ये लड़कियां बिना किसी फीस के पसीना बहाती हैं। आज 350 से ज्यादा ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। गाव की 120 से ज्यादा लड़कियां अभी भी रोजाना फुटबॉल खेलती हैं। खास बात यह है कि इनमें से 35 से अधिक लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं।

इस सफर की नींव 2004 में रखी गई।  जब मंगाली की बेटियों ने पहली स्टेट चैंपियनशिप जीती, उस जीत ने गांव का नजरिया बदल दिया। अब देश भर मैं फुटबॉल की किक लगा रही है। गांव के लोगों का कहना है कि मंगाली की बेटियां सिर्फ खिलाड़ी नहीं हैं, ये प्रेरणा की मूर्तियां भी हैं। वहीं नेहा और काजल, जिन्होंने फीफा वर्ल्ड कप जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का नाम रोशन किया और रेणु ने नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।