भिवानी: भिवानी में हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा आयोजित अंग्रेजी लेक्चरर भर्ती को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. सोमवार को लघु सचिवालय के बाहर अभ्यर्थियों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया. अभ्यर्थियों ने विरोध के दौरान परिणाम की प्रतियों को आग के हवाले कर विरोध जताया. साथ ही अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी दी. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता पूरी तरह नदारद रही. आयोग ने योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर बाहर किया है.
कम चयन से विवाद: एचपीएससी ने अंग्रेजी लेक्चरर के 613 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की थी, लेकिन परिणाम घोषित होने पर मात्र 151 अभ्यर्थियों का ही चयन किया गया. शेष पद खाली छोड़ देने से अभ्यर्थियों में रोष है. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि हरियाणा के योग्य युवाओं की अनदेखी कर बाहर के उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई. इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को योग्य न मानना समझ से परे है.
आरक्षण के हनन का आरोप: आंदोलनकारी अभ्यर्थियों ने दावा किया कि इस भर्ती के माध्यम से आरक्षित वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित किया गया है. बीसी-ए की 60 सीटों में से केवल 6, बीसी-बी की 36 सीटों में से 3, ईडब्ल्यूएस की 60 में से 6, ओएससी की 60 में से 2 तथा डीएससी की 60 सीटों में से मात्र 1 अभ्यर्थी को पास किया गया. प्रदर्शनकारी इसे आरक्षण व्यवस्था को कमजोर करने की साजिश बता रहे हैं. उनका कहना है कि यह फैसला आरक्षित वर्ग के भविष्य पर सीधा प्रहार है.
जानें क्या बोले प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी:
- प्रदर्शन के दौरान महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की गोल्ड मेडलिस्ट अभ्यर्थी निधि ने कहा कि, “जिस विश्वविद्यालय ने हमारी योग्यता को देखते हुए हमें सम्मानित किया, उसी अध्ययन के आधार पर हमें आयोग ने अयोग्य घोषित कर दिया. मेरी मेहनत और उपलब्धियों को एचपीएससी ने एक झटके में नकार दिया. गोल्ड मेडल देने वाली संस्था की शिक्षा को आयोग द्वारा खारिज करना किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं है. परीक्षा परिणाम ने प्रतिभाशाली युवाओं का मजाक बना दिया है.”
- प्रदर्शन कर रहे अन्य अभ्यर्थी नरेश ने कहा कि, “हमारी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच स्थानीय शिक्षकों की बजाय अमेरिका के प्रोफेसरों से करवाई गई. यह प्रक्रिया पूरी तरह अव्यवहारिक है. हमारे विषय और क्षेत्रीय संदर्भ को समझे बिना विदेशियों से कॉपियों की जांच करवाना संदेह पैदा करता है.यह तरीका हरियाणा के युवाओं को बाहर करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है.”
राजनीतिक दलों का समर्थन: अभ्यर्थियों के इस आंदोलन को कांग्रेस, जेजेपी और माक्र्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी का भी खुला समर्थन मिला. नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि, “हम अभ्यर्थियों की लड़ाई को पूरी मजबूती से उठाएंगे और जरूरत पड़ी तो सड़क जाम या चंडीगढ़ घेराव जैसे बड़े आंदोलन भी किए जाएंगे. सरकार ने यदि न्याय नहीं किया तो वे पीछे नहीं हटेंगे.”