हरियाणा के यूरिया की 3 राज्यों में अवैध सप्लाई

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चंडीगढ़।

हरियाणा सरकार को 3 पड़ोसी राज्यों में यूरिया की अवैध सप्लाई किए जाने का शक है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सूबे के 20 जिलों में 20 से 40 प्रतिशत तक ज्यादा यूरिया खाद की खपत हो चुकी है। दो जिले भिवानी और पंचकूला ही ऐसे हैं, जहां खाद कम पहुंची है। पूरे प्रदेश के आंकड़ों को यदि देखें तो 22 जनवरी तक सूबे में कुल 1,098,111 मीट्रिक टन की खपत हुई है, जो पिछले वर्ष (2024) की इसी अवधि की तुलना में 1,51,942 मीट्रिक टन अधिक है। खास बात यह है कि यमुनानगर जिले में 43.5% अधिक की खपत यूरिया खाद की हो चुकी है। वहीं चरखी दादरी जिले में भी 33% यूरिया का अधिक उपयोग हुआ है, जबकि जींद में यह 30%, सोनीपत में 22% और फरीदाबाद में 26% है। जबक पंचकूला 9.24% तय खपत से कम यूरिया पहुंची है। वहीं भिवानी 2.36% यूरिया किसानों को नहीं मिली है।

इसलिए सरकार को हो रहा शक

कृषि विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि खाद की असंतुलित आपूर्ति से पता चलता है कि औद्योगिक उपयोग या आसपास के राज्यों में यूरिया की अवैध आपूर्ति की जा रही है। एक अधिकारी ने बताया, हरियाणा में किसानों को 1,000 रुपए की सब्सिडी के बाद 266.50 रुपए प्रति बैग की रियायती दर पर यूरिया बैग मिल रहे हैं। अगर यूरिया उद्योग या आसपास के राज्यों में जा रहा है, तो यह हरियाणा के किसानों के साथ साथ सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।

केंद्र देता है, राज्य करता है वितरण

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश बिश्नोई ने कहा कि किसानों को रबी सीजन के दौरान गेहूं के लिए अनुशंसित कुल 130 किलोग्राम यूरिया की मात्रा से अधिक यूरिया का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसे तीन भागों में विभाजित किया जाना चाहिए। केंद्र यूरिया खाद की आपूर्ति करता है जबकि राज्य कृषि विभाग खाद वितरण के लिए जिलों का आवंटन करता है।

BJP सांसद उठा चुकी मुद्दा

यूरिया की कम आपूर्ति की रिपोर्ट के बाद, राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर भिवानी जिले में इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि भिवानी जिले में मांग के मुकाबले यूरिया की आपूर्ति 1,066 मीट्रिक टन कम हो गई है। उन्होंने कहा कि पर्याप्त मात्रा में यूरिया की समय पर उपलब्धता पैदावार को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है और किसी भी तरह की देरी या कमी से पैदावार पर गंभीर असर पड़ सकता है। उन्होंने यूरिया की असमान आपूर्ति का मुद्दा भी उठाया तथा जिलों में संतुलित वितरण प्रणाली की मांग की।