पुरी की तर्ज पर ISKCON आयोजित करेगा भव्य रथ यात्रा, देश-विदेश से भक्त होंगे शामिल

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 कुरुक्षेत्र। धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में पांच जुलाई को इस्कान द्वारा पुरी की तर्ज पर भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाएगा। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक उल्लास का प्रतीक होगी, बल्कि इसे भक्ति, सेवा और संस्कृति का महोत्सव कहा जा सकता है।

इस्कान कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपाल प्रभुजी ने रथ यात्रा का शुभारंभ पांच जुलाई दोपहर को श्री कृष्ण अर्जुन मंदिर, ज्योतिसर से भगवान श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं बलराम जी की महाआरती के साथ होगा। जिसमें देश-विदेशों से आए श्रद्धालु भाग लेंगे। इसके उपरांत सभी भक्तों के लिए भव्य प्रीतिभोज (प्रसाद) की व्यवस्था की गई है।

सायं पांच बजे, ब्रह्मसरोवर तट से भगवान का रथ नगर भ्रमण पर निकलेगा, जिसे भक्तगण प्रेमपूर्वक रस्सियों से खींचेंगे। यह यात्रा बिरला मंदिर, गुरुद्वारा चौक, रेलवे रोड, पिपली रोड होते हुए सेक्टर 13 स्थित कांग्रेस भवन पहुंचेगी, जहां विशाल भंडारे के साथ इसका समापन होगा।

इस रथ यात्रा को विशिष्ट बनाने के लिए बैंड-बाजा, झांकियां तथा भक्तों की हरिनाम संकीर्तन मंडलियां पूरे मार्ग में सहभागी होंगी। यात्रा मार्ग पर भक्त झाड़ू लगाकर और जल छिड़क कर भगवान के लिए पवित्र पथ बनाएंगे। पूरे रथ मार्ग पर भगवान को आकाश मार्ग से 56 भोग अर्पण किए जाएंगे और श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद के स्टाल भी लगाए जाएंगे।

पुरी-वृंदावन-कुरुक्षेत्र: तीनों तीर्थों का दिव्य संबंध

इस्कान कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपाल प्रभुजी ने बताया कि रथ यात्रा का आध्यात्मिक इतिहास अत्यंत गहरा है। पुराणों में वर्णित है कि पहली रथ यात्रा तब मानी जाती है जब वृंदावन वासियों ने भगवान श्रीकृष्ण को कुरुक्षेत्र से रथ में बैठाकर अपने साथ ले जाने का प्रयास किया।

इस्कान कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपाल प्रभुजी ने बताया कि रथ यात्रा का आध्यात्मिक इतिहास अत्यंत गहरा है। पुराणों में वर्णित है कि पहली रथ यात्रा तब मानी जाती है जब वृंदावन वासियों ने भगवान श्रीकृष्ण को कुरुक्षेत्र से रथ में बैठाकर अपने साथ ले जाने का प्रयास किया।
उसी प्रेम भावना को पुरी और कुरुक्षेत्र की रथ यात्राएं दोहराती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान के रथ-दर्शन से करोड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और यह रथ यात्रा उसी कृपा का विस्तार है। अध्यक्ष साक्षी गोपाल प्रभुजी, उपाध्यक्ष मोहन गौरचंद्र प्रभुजी और पूरी कार्यकारिणी टीम इस यात्रा को और भव्य बनाने के लिए दिन रात तैयारी कर रहे हैं।