मेकिंग मॉडल गुरुग्राम की इस तकनीक से शहर होगा गार्बेज फ्री

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गुड़गांव : गुरुग्राम को स्वच्छ, सुंदर एवं बेहतर शहर बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन, जीएमडीए व नगर निगम गुरुग्राम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं, वहीं इस दिशा में शहर वासियों की भागीदारी भी सुनिश्चित हो रही है। इसी कड़ी में निगमायुक्त प्रदीप दहिया के साथ मेकिंग मॉडल गुरुग्राम के पदाधिकारियों ने बैठक करके सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट की नई राह बनाने के लिए कदम बढ़ाया है।

निगम कार्यालय में आयोजित बैठक में मेकिंग मॉडल गुरुग्राम ने गुरुग्राम के लैंडफिल संकट को दूर करने और शहर के कचरा प्रबंधन तंत्र को स्थायी बनाने की दिशा में एक साहसिक और सहयोगी पहल के बारे में जानकारी दी। इस पहल के तहत राज्य नेतृत्व और नागरिक समाज के साथ मिलकर शहर की सफाई और वेस्ट मैनेजमेंट में ठोस और दीर्घकालिक समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। बैठक में पिछले 15 वर्षों में नागरिक समाज और कई प्रगतिशील आरडब्ल्यूए द्वारा किए गए कार्यों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा की गई।

निगमायुक्त प्रदीप दहिया ने कहा कि नगर निगम गुरुग्राम पूरी प्रतिबद्धता से शहर को स्वच्छ बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने शहर वासियों की भागीदारी और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि यह समय सामूहिक तौर पर काम करने का है, ताकि गुरुग्राम को स्वच्छ और स्वस्थ शहर बनाया जा सके।

मेकिंग मॉडल गुरुग्राम की संस्थापक गौरी सरीन ने कहा कि कचरे का स्रोत पर ही पृथक्करण और बल्क वेस्ट जनरेटर्स द्वारा अधिकतम इन-सिटू कम्पोस्टिंग हमारी प्राथमिक रणनीति है। शेष समाधान जोनल स्तर पर डिसेंट्रलाइज्ड बायो-सीबीजी और मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी केंद्रों में निहित है। उन्होंने कहा कि यह एक निर्णायक समय है। अब अधिकारियों और नागरिकों को मिलकर एक साझा दृष्टि और संकल्प बनाना होगा ताकि इस लंबे समय से चली आ रही समस्या का समाधान हो और आने वाली पीढिय़ों के लिए एक स्वच्छ, स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित हो सके।

बैठक में वर्तमान समय में ठोस कचरा प्रबंधन और सैनिटेशन नीति को समझने के लिए विस्तृत चर्चा की गई। मेकिंग मॉडल गुरुग्राम की ओर से 175 से अधिक आरडब्ल्यूए से प्राप्त फीडबैक पर आधारित समुदाय संचालित स्थाई कचरा प्रबंधन मॉडल मॉडल प्रस्तुत किया गया। यही नहीं, पारदर्शी, चरणबद्ध दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जिसमें नागरिक समाज, आरडब्ल्यूए और निवासी समूह सक्रिय रूप से निर्णय प्रक्रिया में शामिल हों। इसके तहत जागरूकता, शिक्षा, क्रियान्वयन, कानूनी पालन को प्रभावी तौर पर लागू करने, गार्बेज फ्री सिटी बनाने, प्राथमिक स्तर पर कचरा अलगाव, ताजे कचरे को लैंडफिल में कम से कम जाने, बायो-सीबीजी और रीसाइक्लिंग क्षमता विकसित करने पर विस्तार से चर्चा की गई। योजनाओं में सहयोग और सामंजस्य के क्षेत्रों की पहचान केवल तात्कालिक उपायों पर नहीं, बल्कि दीर्घकालिक और स्थायी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने पर भी ध्यान आकर्षित किया गया।

बैठक के दौरान इंपीरिया एस्फेरा आरडब्ल्यूए अध्यक्ष रिंकी सिंह और बीपीटीपी पार्क सेरेन से संदीप शर्मा ने सेक्टर-37 सी व डी क्षेत्र की गंभीर समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उच्च-ऊंचाई वाली इमारतों से इकट्ठा किए गए कचरे का निपटान लगभग नहीं हो रहा है और सीवेज सिस्टम की स्थिति दयनीय है। कई एसटीपी पूरी तरह कार्यरत नहीं हैं या आंशिक रूप से ही काम कर रहे हैं। इसके अलावा, सीवर लाइनें मुख्य ड्रेनेज से जुड़ी नहीं हैं, जिससे मुख्य सडक़ों के किनारे जलजमाव होता है। बैठक में एसडब्ल्यूएम बायलॉज, ट्रांसफर स्टेशन, वेंडरों की इम्पैनलमेंट, तकनीकी उपयोग, प्रोत्साहन या दंडात्मक फ्रेमवर्क आदि पर भी विस्तार से चर्चा हुई। यह एक 2.5 घंटे की मैराथन बैठक रही, जिसमें सभी पक्षों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई।