तीसरी बार टूटा मारकंडा नदी का तटबंध, हजारों एकड़ फसल जलमग्न, 12 गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराया

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कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कुरुक्षेत्र ज़िले में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. शाहाबाद के बाद अब मारकंडा नदी ने नैसी गांव के पास तबाही मचाना शुरू कर दी है. बुधवार देर शाम को यहां नदी का तटबंध टूट गया, जिससे आसपास के गांवों में हड़कंप मच गया. इस हादसे के चलते लगभग 12 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है, और हजारों एकड़ फसल पानी में डूब चुकी है.

किसानों की कोशिश नाकाम, हालात गंभीर

 तटबंध टूटने के बाद स्थानीय किसानों ने मिलकर उसे रिपेयर करने की कोशिश की, लेकिन तेज बहाव के कारण हालात काबू से बाहर हो चुके हैं. प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय मारकंडा नदी में 34,000 क्यूसेक से ज्यादा पानी बह रहा है. नदी का प्रवाह इतना तेज है कि करीब 40 फीट लंबा तटबंध बह चुका है.

गांवों की स्थिति और प्रशासन की कार्रवाई

 तटबंध टूटने से नैसी, टबरा, शेरगढ़, मडाडो, जोधपुर, जंधेड़ी और बालापुर जैसे गांवों में पानी फैलना शुरू हो गया है. हालांकि अभी तक गांवों की आबादी में पानी नहीं घुसा है, लेकिन खेतों में बाढ़ जैसी स्थिति बन चुकी है. ज्यादा पानी वाले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है.

डीसी का दौरा, राहत कार्य जारी
 कुरुक्षेत्र के डिप्टी कमिश्नर विश्राम कुमार ने प्रभावित गांवों का दौरा किया और ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि हालात पर काबू पाने की कोशिशें जारी हैं. उन्होंने कहा, “अगर अगले एक-दो दिन बारिश नहीं हुई, तो स्थिति सुधर सकती है. ग्रामीण प्रशासन का सहयोग करें.” फिलहाल तटबंध को दोबारा रिपेयर करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है.

पहले भी दो बार टूट चुका है यही तटबंध

नैसी गांव के पास मारकंडा नदी का तटबंध पहले भी 1 जुलाई और 20 अगस्त को टूट चुका है. उस समय पानी का बहाव कम था, इसलिए तटबंध जल्द ही ठीक कर लिया गया था. लेकिन इस बार हालात कहीं ज्यादा गंभीर हैं. दो महीने पहले जब तटबंध टूटा था, तो धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई थी, जिसे किसानों ने दोबारा रोपा था.

बारिश का ताजा अपडेट:

 बुधवार को कुरुक्षेत्र जिले में सुबह 8 बजे तक 32.16 मिमी बारिश दर्ज की गई. आज सुबह आसमान में बादल छाए रहे, लेकिन अब तेज धूप निकल आई है. जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हुई बारिश का ब्योरा इस प्रकार है:

  • शाहाबाद: 29 मिमी
  • लाडवा: 19 मिमी
  • पिहोवा: 24 मिमी
  • थानेसर: 7 मिमी
  • बाबैन: सबसे ज्यादा 73 मिमी
  • इस्माइलाबाद: 41 मिमी

मारकंडा नदी का बढ़ता जलस्तर और टूटा तटबंध किसानों और प्रशासन दोनों के लिए चुनौती बन चुका है. अगले कुछ दिन इस संकट से उबरने के लिए बेहद अहम हैं.