कुरुक्षेत्र में मारकंडा नदी का प्रकोप जारी, हर तरफ पानी ही पानी, छतों पर रहने को लोग मजबूर

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कुरुक्षेत्र: पूरे हरियाणा में बाढ़ जैसे हालात हैं. प्रदेश के अधिकतर जिलों में लोगों को जलजमाव के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सभी नदियां उफान पर है. वहीं, कुरुक्षेत्र के पिहोवा क्षेत्र के नैसी गांव में मारकंडा नदी ने तबाही मचा रखी है. नैसी गांव सहित कई गांवों में मारकंडा नदी का पानी भर चुका है. लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

बांध टूटने से बिगड़े हालात
दरअसल, गुरुवार देर रात बीबीपुर गांव में नदी का बांध टूटने से हालात और बिगड़ गए थे. पानी घुसने से ग्रामीण अपने घरों की छतों पर शरण लेने को मजबूर हैं. खास कर महिलाओं और बच्चों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. खेतों में खड़ी फसलें और पशुओं का चारा पूरी तरह से बर्बाद हो गया है.

“दूर से देख कर चले जा रहे प्रशासन के लोग”

दलविंदर सिंह का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ दूर से खड़ा तमाशा देख रहा है और अब तक राहत का कोई कार्य शुरू नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि, “पानी में लगातार रहने से हाथ-पैरों में एलर्जी हो रही हैं. बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी कोई टीम गांव नहीं पहुंची. हम कई दिनों से मदद की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.”

किसानों को मिलने वाले मुआवजे पर सवाल

 आगे दलविंदर ने कहा कि, “सरकार मुआवजे की बात कहती है. अगर सरकार नदियों के तटबंध को मजबूत कर दे तो उनको मुआवजा देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और ना ही किसानों को मुआवजे की जरूरत है.सरकार के द्वारा इतना मुआवजा दिया जाता है जिससे फसल पर आई हुई लागत भी पूरी नहीं होती. ऐसे में किसान बर्बाद हो रहे हैं. यहां पर करीब 20 से 30 गांव के हजारों एकड़ फसल बर्बाद होने की कगार पर है.”

घरों में घुसा पानी

वहीं, एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि, “यहां पर दो स्थानों पर मारकंडा नदी का तटबंध टूटा है, जिससे करीब 20 से 30 गांव प्रभावित हो गए हैं. हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गए हैं. फसलों के साथ-साथ ग्रामीणों को जीवन यापन करना भी मुश्किल हो रहा है.कुछ स्थान तो ऐसे हैं, जहां पर घरों के अंदर पानी चला गया है. शाहाबाद और पेहवा क्षेत्र मारकंडा की वजह से बदहाली के आंसू रो रहा है.”

“छतों पर रहने को मजबूर, पानी बढ़ा तो छोड़ना पड़ेगा घर”
 गांव के एक घर में, जहां पानी भर गया है, उस घर की महिला से ईटीवी भारत ने बातचीत की. सुनीता ने कहा कि, “खाना बनाना भी मुश्किल हो रहा है. हालांकि कुछ परिवार अपने घर छोड़कर चले गए हैं. हम भी अपना सारा सामान बांध कर बैठे हुए हैं. अगर हालात ज्यादा बिगड़ते हैं, हमें अपना घर छोड़ना पड़ेगा, क्योंकि हमारे मकान के चारो तरफ पानी ही पानी है. करोड़ों रुपए की लागत से हमने यह घर बनाया था.मकान के निचले हिस्से में भी पानी चला गया है, जिसके चलते हमें छतों पर रहना पड़ रहा है.”
पशुओं के बाड़े में भी घुसा पानी
प्रभावित गांवों का जायजा लेने के दौरान ईटीवी भारत के संवाददाता मुनीष टूरन ने देखा कि ग्रामीणों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी बाढ़ का पानी मुसीबत बना हुआ है. इंसान अपना कुछ हद तक प्रबंध कर सकता है, लेकिन पशुओं के लिए परेशानी बनी हुई है. पशुओं के बाड़े के अंदर भी पानी चला गया है. पशुओं का चारा भी खराब हो चुका है, हालांकि किसानों के द्वारा पशुओं के चारे को बचाने के लिए मिट्टी के बैग भरकर पानी रोकने के प्रबंध किए जा रहे हैं, लेकिन पानी का स्तर बढ़ने से परेशानी बढ़ रही है.
हरियाणा में हजारों गांव जलमग्न
इन दिनों हो रही भारी बारिश और नदियों के उफान पर होने का असर हरियाणा के हजारों गांवों पर पड़ा है. खासकर पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जिला अधिक प्रभावित है. इसके अलावा दूसरे जिलों में भी ज्यादा बरसात के कारण हजारों एकड़ फसल बरसात में खराब हो गए हैं.
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़ें
सरकारी आंकड़ों की मानें तो हरियाणा में बारिश और बाढ़ की वजह से 2748 गांव अभी तक प्रभावित हुए हैं. हालांकि अभी भी कुछ जिलों में बाढ़ का पानी जा रहा है. जिससे इसका आंकड़ा भविष्य में और भी बढ़ने वाला है. इस बार फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़ और झज्जर में सामान्य से अधिक बरसात दर्ज की गई है. जिला प्रशासन और सरकार के द्वारा राहत बचाव कार्य चलाए हुए हैं. तकरीबन 2247 लोगों को रेस्क्यू करके सुरक्षित बाहर निकाला गया है और सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है. सरकार ने किसानों की फसल बर्बादी के बाद मुआवजे के लिए क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला है, जिसमें अभी तक 2748 गांव के 146823 किसानों ने नुकसान की शिकायत दर्ज कराई है.