करनाल: विकसित देशों की तर्ज पर भारत की खेती को आधुनिक, उन्नत और अधिक लाभकारी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है. महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल के चार विद्यार्थियों ने जापान की कोच्चि यूनिवर्सिटी से बागवानी से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीकों का अध्ययन कर भारत वापसी की है. इन तकनीकों के माध्यम से खेती को सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा. इससे किसानों को फसल की वृद्धि, रोग, सिंचाई, नमी और तापमान जैसी महत्वपूर्ण जानकारियाँ समय पर उपलब्ध होंगी, जिससे खेती अधिक सटीक, सुरक्षित और लाभकारी बन सकेगी.
जापान से भारत तक तकनीक का सेतु : इस बारे में एमएचयू के कुलपति प्रोफेसर सुरेश मल्होत्रा ने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, “महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय और जापान की कोच्चि यूनिवर्सिटी के बीच एक अहम शैक्षणिक समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी एक-दूसरे के संस्थानों में अध्ययन करेंगे और उन्हें दोहरी डिग्री प्रदान की जाएगी. इसी कार्यक्रम के अंतर्गत एमएचयू के विद्यार्थी जापान गए थे, जहां उन्होंने देखा कि बागवानी की खेती में तकनीक का किस तरह प्रभावी उपयोग किया जा रहा है.”
भारतीय मौसम के अनुसार होंगे नए मॉडल: कुलपति प्रो. सुरेश मल्होत्रा ने आगे कहा कि, “जापान और भारत की जलवायु में बड़ा अंतर है. जापान की तकनीकों को सीधे अपनाने के बजाय, एमएचयू में इन पर गहन शोध किया जाएगा. नए प्रोटोकॉल और मॉड्यूल तैयार कर इन्हें भारतीय तापमान और परिस्थितियों के अनुरूप ढाला जाएगा, ताकि किसानों को अधिकतम लाभ मिल सके और खेती फायदे का सौदा बने.”
सेंसर और एआई से बदलेगी खेती की तस्वीर: वहीं, करनाल एमएचयू के विद्यार्थियों ने बताया कि उन्होंने “इंटरनेट ऑफ प्लांट्स थीम एक्सपीरियंस प्रोग्राम फॉर नेक्स्ट जेनरेशन हॉर्टिकल्चर” के तहत कोच्चि यूनिवर्सिटी में एक सप्ताह का शैक्षणिक भ्रमण किया. जापान में खेती योग्य जमीन कम और ठंड अधिक होने के कारण वहां नीदरलैंड से प्रेरित होकर संरक्षित खेती को अपनाया गया है. इस खेती में सेंसर आधारित तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे पौधों की ग्रोथ, उत्पादन, रोग, सिंचाई, नमी, तापमान और आर्द्रता से जुड़ा पूरा डेटा स्वतः वेबसाइट पर अपलोड हो जाता है.
किसानों तक सीधे पहुंचेगी जानकारी : इस डिजिटल सिस्टम के जरिए फसल से जुड़ी हर जानकारी सीधे किसानों तक पहुंचती है. किसान उसी आधार पर फसल का प्रबंधन करते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह तकनीक खेती को अधिक सटीक, सुरक्षित और लाभकारी बना रही है. विद्यार्थियों ने कहा कि भारत में अभी भी बड़ी संख्या में किसान पारंपरिक खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा. ऐसे में आधुनिक तकनीक अपनाना समय की मांग है.
संस्कृति का भी हुआ आदान-प्रदान : इस अंतरराष्ट्रीय दौरे के दौरान विद्यार्थियों ने न केवल जापान की कृषि तकनीक और संस्कृति को समझा, बल्कि जापान के छात्रों को भारतीय संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों से भी अवगत कराया. इस कार्यक्रम का आयोजन जापान साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा किया गया, जबकि मेजबानी कोच्चि यूनिवर्सिटी ने की.

















