लाल फीताशाही की लापरवाही: शहीद सौरभ गर्ग को सम्मान नहीं मिला, परिवार जींद में रह रहा है

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चंडीगढ़  : हरियाणा मानव अधिकार आयोग, ने स्वर्गीय शहीद सौरभ गर्ग (निवासी पिल्लुखेड़ा, जिला जींद) के मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। आयोग की पीठ, जिसमें आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा, सदस्य (न्यायिक) श्री कुलदीप जैन एवं सदस्य श्री दीप भाटिया सम्मिलित रहे, ने यह आदेश शिकायत संख्या 1995/8/2023 में पारित किया।

घटना की पृष्ठभूमि: यह शिकायत श्री चंद्रभान द्वारा दाखिल की गई है, जो स्व. श्री सौरभ गर्ग के पिता हैं। स्व. श्री सौरभ गर्ग ने दिनांक 08.12.2012 को जिला जींद के पिल्लुखेड़ा में 11 निर्दोष लोगों की जान बचाते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। घर रसोई गैस सिलेंडर से गैस रिसाव के कारण आग की लपटों में घिर गया था। स्व. श्री सौरभ गर्ग का यह साहसिक कार्य साहस, बलिदान और निस्वार्थ भाव का अनुपम उदाहरण है। महज पड़ोसी होने के बावजूद उन्होंने ठिठुरती सर्द सुबह में घटनास्थल पर पहुँचकर सीढ़ी लगाई और एक-एक करके सभी 11 लोगों (जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे) को सुरक्षित बाहर निकाला। जब सभी जीवन सुरक्षित हो गए तभी भयंकर विस्फोट हुआ और वे स्वयं आग की लपटों में समा गए।

प्रारंभ में ही हरियाणा मानव अधिकार आयोग अत्यंत भावविभोर होकर यह दर्ज करता है कि ऐसा शौर्य, जहाँ एक युवा नागरिक स्वेच्छा से दूसरों की सुरक्षा हेतु अपने जीवन का बलिदान करता है, मानवता के उच्चतम आदर्शों का प्रतीक है और राष्ट्र द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए। स्व. श्री सौरभ गर्ग का बलिदान न केवल उनके परिवार का निजी शोक है बल्कि संपूर्ण समाज और राज्य का गौरव भी है|

मृतक के पिता, शिकायतकर्ता, पिछले एक दशक से इस बलिदान की मान्यता हेतु निरंतर प्रयासरत हैं। अभिलेख से स्पष्ट है कि उपायुक्त, जींद ने घटना के एक सप्ताह के भीतर ही मामले की संस्तुति गृह विभाग, हरियाणा सरकार को भेज दी थी। इसके बाद 14.12.2012, 15.01.2015, 23.08.2022, 27.09.2022, 29.09.2023 और 13.08.2024 को बार-बार पत्राचार हुआ। 22.02.2013 को हरियाणा विधानसभा में इस घटना पर चर्चा हुई, जहाँ सदस्यों ने दिवंगत की स्मृति में मौन खड़े होकर श्रद्धांजलि दी। आगे 13.05.2013 को विधानसभा की ओर से उपायुक्त, जींद को डी.ओ. पत्र भेजा गया, जिसमें शोक और संवेदना संदेश मृतक के परिवार तक पहुँचाने का उल्लेख था। प्रधानमंत्री कार्यालय के 24.12.2012 और 11.01.2013 के पत्र भी गृह मंत्रालय, भारत सरकार को भेजे गए, जो राष्ट्रीय स्तर पर इस घटना की स्वीकृति को दर्शाते हैं।

यह उल्लेखनीय है कि उस समय भारत सरकार की ओर से साहसिक कार्यों एवं जीवन-रक्षा के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार देने हेतु एक सुव्यवस्थित नीति पहले से ही लागू थी। हरियाणा सरकार इस नीति के अंतर्गत नामांकन भेज सकती थी। किन्तु संबंधित अधिकारियों द्वारा निर्धारित समयसीमा में फाइल आगे न बढ़ाने के कारण मृतक को इस लाभ से वंचित होना पड़ा। न्यायमूर्ति ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग की सख्त टिपण्णी की है कि “यह देरी पूरी तरह प्रशासनिक लापरवाही एवं उदासीनता का परिणाम है और इससे न केवल परिवार बल्कि पूरे समाज के साथ अन्याय हुआ है। स्पष्ट संस्तुतियों और मामले की असाधारण योग्यता के बावजूद, यह मामला समय पर निपटाया नहीं गया और प्रशासनिक विलंब में फँस गया।

अब, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, हरियाणा ने सूचित किया है कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार की दिनांक 01.04.2024 की अधिसूचना के अनुसार केवल पिछले दो वर्षों के मामलों को ही नामित किया जा सकता है, अतः स्व. श्री सौरभ गर्ग का नाम प्रधानमंत्री जीवन रक्षा पदक हेतु विचाराधीन नहीं हो सकता। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आर्थिक सहायता (₹5,00,000/-) उनके बलिदान के सम्मान का विकल्प नहीं हो सकती।

प्रोटोकॉल, सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने जानकारी दी कि उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, न्यायमूर्ति ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग ने निम्नलिखित संस्तुतियाँ जारी की है –

  • मुख्य सचिव, हरियाणा छह सप्ताह में रिपोर्ट दें जिसमें 2012 से अब तक हुई देरी की जिम्मेदारी तय की जाए।
  • राज्य सरकार भारत सरकार, गृह मंत्रालय से अनुरोध करे कि 01.04.2024 की अधिसूचना में छूट प्रदान कर इस मामले पर विशेष विचार किया जाए।
  • राज्य सरकार स्वयं भी शहीद सौरभ गर्ग को राज्य स्तर पर उपयुक्त साहसिक पुरस्कार प्रदान करने पर विचार करे।
  • आदेश की प्रति माननीय मुख्यमंत्री, हरियाणा को भेजी जाए ताकि वे स्वयं संज्ञान लेकर सर्वोच्च स्तर पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें।

हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने स्मारक के रखरखाव संबंधी निर्देश:

  • शिकायतकर्ता द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि “शहीद सौरभ गर्ग स्मारक” का रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा।इस पर आयोग ने सचिव, मार्केट कमेटी, पिल्लुखेड़ा को निर्देश दिए कि:
  • सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बागवानी एवं देखरेख के लिए विस्तृत मेंटेनेंस प्लान तैयार करें।
  • पृथक बजट हेड बनाया जाए।
  • एक माली एवं सफाई कर्मचारी नियुक्त किए जाएँ।
  • कूड़ेदान, पीने के पानी की सुविधा, बेंच एवं सौर/एलईडी लाइट लगाई जाएँ।
  • स्मारक की महत्ता एवं जिम्मेदार प्राधिकरण का नाम प्रदर्शित किया जाए।
  • नियमित निरीक्षण के लिए अधिकारी नामित किया जाए।

हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने स्पष्ट किया कि शहीद सौरभ गर्ग की बहादुरी को केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत मान्यता मिलनी चाहिए। उनकी शहादत यह संदेश देती है कि साहस, मानवता और निस्वार्थ सेवा कभी अनदेखी नहीं की जाएगी।