चंडीगढ़। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के वाइस चेयरमैन धूमन सिंह किरमिच का कहना है कि सरस्वती की सहायक नदियों के जल प्रवाह मार्ग को चिन्हित करने के बाद उन्हें सरस्वती नदी से जोड़ा जाएगा।
धूमन सिंह के अनुसार जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया व अन्य भौगोलिक जनकारियों के आधार पर कहा जा सकता है कि सतलुज नदी 10 हजार वर्ष पूर्व तक व यमुना नदी 16 हजार पूर्व तक सरस्वती नदी का हिस्सा थी और ग्लेशियर से निकली रुपिन, सुपिन, पब्बर व टौंस नदियां सरस्वती नदी के जल प्रवाह सिस्टम का पार्ट रही हैं।
आज भी ये सभी नदियां सरस्वती नदी के क्षेत्र में ही बह रही हैं। अभी तक हिमाचल के बार्डर आदि बद्री से राजस्थान बार्डर पर स्थापित सिरसा ओटू हेड तक करीब 400 किलोमीटर में विभिन्न नदियों के साथ मिलकर पानी चलाया गया है, जो बरसाती सीजन में ही संभव हो पा रहा है।