पंचकूला: हरियाणा में लिंगानुपात की स्थिति खराब होती जा रही है. जिसे देखते हुए नायब सैनी सरकार ने कुछ अच्छे और सख्त कदम उठाए हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेश के अस्थिर हुए लिंगानुपात पर चिंता व्यक्त की है. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने लिंगानुपात को दुरुस्त करने लिए एक व्यापक योजना बनाई है.
हरियाणा में लिंगानुपात सुधारने पर जोर: उम्मीद जताई जा रही है कि इस प्रयास से प्रदेशवासियों, विशेष रूप से उन जिलों/गांवों के बाशिंदों की मानसिकता में व्यापक सकारात्मक बदलाव जरूर आएगा, जो लड़का-लड़की में भेदभाव करते हैं. इसके लिए हरियाणा सरकार ने प्रदेश के ऐसे 481 गांवों की पहचान की है, जहां हर 1000 लड़कों पर सिर्फ 700 या उससे कम लड़कियां हैं. ऐसे गांवों में अगर हालात नहीं सुधरे, तो सरकार उनके नाम सबके सामने लाकर शर्मिंदा भी करेगी.
कम लिंगानुपात वाले गावों को किया जाएगा शर्मिंदा: हरियाणा सरकार के मुताबिक लगातार प्रयास के बावजूद अगर नतीजे नहीं दिखे, तो उन गांवों का नाम उजागर कर उन्हें शर्मिंदा किया जाएगा. इसके लिए जिला सचिवालय के नोटिस बोर्ड पर गांवों के नाम लिखा जाएगा. जिसमें लिंगानुपात के खराब आंकड़ों को दिखाया जाएगा. इसके अवाला पंचायत स्तर पर बैठकें आयोजित कर कम लिंगानुपात वाले गांवों को शर्मिंदा किया जाएगा.
जिलों के डीसी को दी गई जानकारी: प्रभावित गांवों की सूची पहले ही उपायुक्तों के साथ साझा की जा चुकी है और सरपंचों को जागरूकता अभियान और सामुदायिक सहभागिता में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए कहा गया है. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉक्टर कुलदीप सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया कि हरियाणा में लिंगानुपात की स्थिति को बेहतर करने के लिए सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए हैं.
प्रदेश में गोद भराई-कुआं पूजन की शुरुआत: डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि हरियाणा में केवल बेटे के जन्म पर ही गोद भराई, कुआं पूजन और छठी गाने जैसे रीति-रिवाज होते हैं. लिंगानुपात में सुधार के लिए प्रदेश में अब इन रीति रिवाजों को बेटी के जन्म पर भी मनाया जाएगा. महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग ने बेटियों के जन्म पर सार्वजनिक रूप से जश्न मनाने के लिए सभी जिलों में गोद भराई और कुआं पूजन को एक अभियान के रूप में शुरू भी कर दिया है.
दुल्हा-दुल्हन लेंगे आठवां फेरा: डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि हर जिले में शादियां करवाने वाले 10-15 पंडित पुजारी होते हैं. नतीजतन सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखकर अपने अपने जिलों में इन पंडित/पुजारियों का एक सम्मेलन करवाने बारे कहा जाएगा, ताकि शादी/फेरों के दौरान वे दुल्हा-दुल्हन के सात फेरों के बाद आठवां फेरा भी करवाएं, क्योंकि शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे के साथ उम्र भर जीवन यापन करने के लिए सात फेरे लेते हैं. प्रत्येक फेरे के दौरान दोनों एक-दूसरे से वादा/कसम/शपथ लेते हैं. हरियाणा में होने वाली शादियों में अब दुल्हा-दुल्हन सात फेरों के बजाय कुल आठ फेरे लेंगे. आठवें फेरे का अर्थ ये होगा कि वे कन्या भ्रूण हत्या ना खुद करवाएंगे और ना ही होने देंगे.
लौटा-नमक की प्रथा से दिलाई जाएगी शपथ: डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि योजना के अनुसार प्रदेश में गोद भराई, कुआं पूजन, हवन, यज्ञ और शादी में आठ फेरों के अलावा लोगों को सभाओं में लौटा-नमक की प्रथा के तहत बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं करने की शपथ भी दिलाई जाएगी. उन्होंने बताया कि इस प्रथा के दौरान सभा में उठाई जाने वाली कसम का मतलब ये होता कि यदि कोई कसम लेने के बावजूद लड़का-लड़की में भेदभाव करता है, तो वो ठीक उसी तरह खत्म हो जाए, जैसे नमक पानी में घुलकर खत्म हो जाता है.
हवन-यज्ञ में आहुति: कुलदीप सिंह ने बताया कि प्रदेश में होने वाले हवन और यज्ञ के दौरान भी पंडित-पुजारियों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे समारोह के आयोजकों, परिवारों व अन्यों से लड़का-लड़की में कोई भेदभाव नहीं करने की आहुति भी डलवाएं. उन्होंने बताया कि आर्य समाज द्वारा जिला रोहतक में हवन व यज्ञ के दौरान अग्नि में आहुति की शुरुआत की गई थी, लेकिन अब इसे समूचे प्रदेश में लागू कराया जाएगा.
आयोजन की स्वीकृति के लिए एफिडेविट देने होगा: डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि राज्य में लोगों द्वारा जो कोई भी धार्मिक कार्यक्रम जैसे- जागरण, सामूहिक कीर्तन, हवन, यज्ञ, सामूहिक विवाह समारोह, कथा वाचकों की कथा, पूजन समेत मनोरंजक गतिविधियां, म्यूजिकल इवनिंग, किसी गायक का कार्यक्रम जैसे विभिन्न प्रकार के अन्य आयोजन करवाए जाते हैं, तो आयोजकों को जिला उपायुक्त (डीसी) से परमिशन लेनी होती है.
जनता को सरकार का कड़ा संदेश: अब जिला उपायुक्त आयोजन की परमिशन देने से पहले आयोजकों से एफिडेविट लेंगे. इस एफिडेविट के अनुसार कार्यक्रम के आयोजन को समेत धर्मगुरु कथावाचक और गायक व अन्य कार्यक्रम से पहले लोगों को राज्य सरकार का ये संदेश देंगे कि वे कभी भी बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं करेंगे, कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेंगे, जिसे मानव हत्या माना जाता है. स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के संदेश समेत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के संदेश को भी आयोजन में शामिल हुए लोगों को बताया जाएगा.
मानसिकता में बदलाव के लिए वीडियो क्लिप: डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की जागरूक करने संबंधी वीडियो क्लिप तैयार की गई हैं, जिसे जल्द ही जारी कर दिया जाएगा. लोगों को इन वीडियो क्लिप के माध्यम से लिंगानुपात को संतुलित करने बारे, बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं करने बारे और कन्या भ्रूण हत्या नहीं करने संबंधी संदेश दिया जाएगा.
गानों से लाई जाएगी जागरूकता: डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि राज्य में होने वाले कार्यक्रमों में गायक अपने गीत और गानों के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करेंगे. उन्होंने एक गीत का उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे-“ओरी चिरैया, नन्ही सी चिड़िया-अंगना में फिर आजा रे” जैसे गानों से लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने का प्रयास किया जाएगा.
संतुलित लिंगानुपात के लिए मानसिकता में बदलाव जरूरी: डीजी स्वास्थ्य पी. कुलदीप सिंह ने कहा कि स्वस्थ व संतुलित समाज के लिए लोगों की मानसिकता में बदलाव आना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग अपने प्रयासों से लिंगानुपात में लगातार सुधार लाने के प्रयास में जुटा रहा है लेकिन प्राकृतिक रूप से संतुलित लिंगानुपात में स्थिरता तभी आ सकेगी, जब लोगों की मानसिकता में बदलाव आएगा.