चंडीगढ़ : एच.एस.पी.सी.बी. जल्द ही सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ करेगा मीटिंग हरियाणा में नदियों को प्रदूषणमुक्त करने के लिए अब करोड़ों रुपए खर्च करके तैयार किए गए राज्य के मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एस.टी.पी.) के डिजाइन और प्रदर्शन की जांच की जाएगी। इसके लिए सरकारी विश्वविद्यालयों की मदद लेने की योजना तैयार की गई है। यह फैसला नदियों के पानी की वर्तमान स्थिति की जानकारी हासिल करने के लिए हुई एक मीटिंग के दौरान लिया गया।
मीटिंग के दौरान हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एच.एस.पी.सी.बी.) के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि बोर्ड के अध्यक्ष जल्द ही प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक करेंगे। राज्य के मौजूदा एस.टी.पी. के डिजाइन और प्रदर्शन की जांच करने तथा सरकारी विश्वविद्यालयों द्वारा नालों/नदियों के जल गुणवत्ता की निगरानी करने के मुद्दे पर उनके साथ चर्चा की जाएगी। वहीं, एच.एस.पी.सी.बी. की ओर से जानकारी दी गई कि कि एस.टी.पी. के एक बार के मूल्यांकन की कुल लागत 1.73 करोड़ रुपए और मासिक नमूना परीक्षण शुल्क 55.8 लाख रुपए है।
मीटिंग में फैसला लिया गया कि सभी कार्यान्वयन विभाग अर्थात पी.एच.ई.डी., यू.एल.बी., एच.एस.आई.आई.डी. सी., सिंचाई विभाग, एच.एस.वी.पी., जी. एम. डी. ए. एफ. एम. डी.ए. और पंचायत विभाग जिला पर्यावरण योजना में बताई गई गतिविधियों को कार्यान्वित करेंगे जबकि शहरी स्थानीय निकाय प्रत्एक औद्योगिक एस्टेट जोन में ठोस अपशिष्ट संग्रहण एवं पृथक्करण सुविधाएं स्थापित करने के संबंध में एच.एस.आई.आई. डी.सी.द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।
एस.टी.पी. से निकलने वाले उपचारित अपशिष्ट जल के उपयोग को लेकर भी नया लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जानकारी के अनुसार 57 एस.टी.पी. के अपशिष्ट जल के उपयोग के लिए 67000 एकड़ में सिंचाई नैटवर्क बिछाने का काम इस साल दिसम्बर तक पूरा हो जाएगा।