हरियाणा के पलवल जिले के मुनीरगढ़ी गांव के लाल कपिल बैंसला ने यह साबित कर दिया है कि अगर जुनून सच्चा हो, तो रास्ते खुद बनते जाते हैं। खेतों और पगडंडियों के बीच पला-बढ़ा यह युवक बचपन में ईंट-पत्थरों से निशाने साधा करता था। उस समय घरवाले इसे समय की बर्बादी मानते थे, लेकिन कपिल की लगन कभी डगमगाई नहीं। आज उसी बच्चे ने कजाकिस्तान के शिमकेंट में चल रही 16वीं एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया है। इतना ही नहीं, कपिल ने टीम इवेंट में एक रजत पदक भी जीता, जिससे उनका प्रदर्शन और भी शानदार हो गया।
किसान परिवार से एशियाई स्तर तक का सफर
कपिल का परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर है। पिता सुभाष बैंसला किसान हैं और मां ओमवती गृहिणी। आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होने के बावजूद, पिता ने कपिल के जुनून को समझा और पूरा साथ दिया। तीन भाइयों में सबसे बड़े कपिल ने खेल और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी संतुलित किया। उनके छोटे भाई सचिन यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, जबकि सबसे छोटे भाई कुलदीप अभी 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं।
दादा को है पोते पर गर्व
कपिल के दादा श्यामबीर बैंसला बताते हैं, “बचपन में वह ईंट-पत्थरों से निशाना लगाया करता था। हम सोचते थे कि यह समय बर्बाद कर रहा है, लेकिन आज उसी खेल ने उसे गोल्ड मेडल दिलाया। हमें पूरा विश्वास है कि वह ओलंपिक में भी देश का नाम रोशन करेगा।”
ओलंपिक 2028 का लक्ष्य
कपिल का अगला बड़ा लक्ष्य है ओलंपिक 2028, जिसकी तैयारियों में वे पूरी तरह जुटे हैं। छोटे भाई कुलदीप बताते हैं कि कपिल को शुरू से ही पढ़ाई के बजाय खेलों में ज्यादा रुचि थी। पिता ने उन्हें खेलों में आगे बढ़ने का अवसर दिया और कपिल ने निशानेबाजी को अपना करियर बना लिया। उनकी मेहनत अब रंग ला रही है।
हरियाणा की बेटियां भी पीछे नहीं
इस चैंपियनशिप में हरियाणा की बेटियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। झज्जर की मनु भाकर, सुरुचि सिंह और पलक गुलिया ने टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया। मनु भाकर ने व्यक्तिगत स्पर्धा में भी एक और ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया और वह भी डबल मेडल विजेता बनीं। कपिल बैंसला और हरियाणा की बेटियों का यह प्रदर्शन ना सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। इनकी कहानियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।