रेवाड़ी: झज्जर के गांव गोरिया में प्रस्तावित इथेनॉल गैस प्लांट के विरोध में ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर पहुंचता जा रहा है। बुधवार को कोसली खंड और झज्जर जिले की सीमा से सटे क्षेत्रों के 11 गांवों के ग्रामीणों ने एक महापंचायत का आयोजन किया, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में पुरुष, महिलाएं, युवा और किसान नेता एकत्र हुए। महापंचायत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि प्रशासन ने जल्द इस परियोजना को रद्द नहीं किया, तो ग्रामीण बड़े पैमाने पर उग्र आंदोलन की राह पर उतरेंगे। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह केवल जमीन के स्वामित्व का मामला नहीं, बल्कि क्षेत्र के बच्चों के भविष्य, पर्यावरण और किसानों की आजीविका का भी सवाल है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इस परियोजना को थोपने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि इससे जुड़े गांवों से न तो सहमति ली गई और न ही कोई जनसुनवाई की गई। उनका कहना है कि प्लांट लगने से दर्जनों गांवों की उपजाऊ कृषि भूमि प्रभावित होगी, जिससे क्षेत्र के लोगो की सेहत और जीवनशैली पर गंभीर असर पड़ेगा।
ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे शांतिपूर्ण विरोध की बजाय उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे और इसकी जिम्मेदारी प्रशासन पर होगी। पंचायत में बुजुर्गों से लेकर युवाओं और महिलाओं तक ने एकजुटता दिखाते हुए साफ किया कि वे अपनी जमीन और अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।