सर्व पितृ अमावस्या: कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर पर श्रद्धालुओं की भीड़, पितरों की शांति के लिए तर्पण-पिंडदान

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कुरुक्षेत्र: हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर पर अमावस्या के दिन दूर-दूर से श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. पितृ अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. क्योंकि यह दिन पितरों को तर्पण के लिए अंतिम दिन होता है. अगले दिन यानी कल 22 सितंबर से नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी.

दूर-दूर से पिंडदान करने पहुंच रहे श्रद्धालु: कर्नाटक से पूजन करने पहुंचे श्रद्धालु संजू मूर्ति ने कहा कि “वह विशेष तौर पर कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान तर्पण और श्राद्ध के लिए आए हैं. इस अमावस्या का विशेष महत्व होता है और 30 दिन की यात्रा पर निकले हुए हैं. जिसमें उनके साथ 40 लोग शामिल हैं. विशेष तौर पर कुरुक्षेत्र में आए हैं. ताकि यहां पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर सके.”

विश्वभर में ब्रह्मसरोवर की मान्यता: उन्होंने कहा कि “ब्रह्म सरोवर के पवित्र पानी में स्नान करने उपरांत पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना की और पिंडदान किया. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. ब्रह्मसरोवर की मान्यता पूरे विश्व में है. इसलिए विशेष तौर पर यहां आकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-अर्चना की है.”

“कुरुक्षेत्र में किया दान कई गुना फलदायी”: वहीं, तीर्थ पुरोहित पंडित राकेश गोस्वामी ने बताया कि “वैसे तो अमावस्या हर महीने आती है, लेकिन आज पितृ पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व होता है. 16 दिन के श्राद्धों का आज समापन हो जाता है. इसलिए आज के दिन पिंडदान करने और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए लोग कुरुक्षेत्र पहुंचते हैं. आज के दिन दान-पुन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. घर में सुख-समृद्धि आती है. लोग कपड़े-भोजन आदि पंडितों को दान करते हैं. भंडारे लगाए जाते हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए यहां पर पूजा-अर्चना और पिंडदान करने के बाद श्रद्धालु अपनी इच्छा अनुसार दान करते हैं. कुरुक्षेत्र में किया हुआ दान कई गुना फल देता है.”