चंडीगढ़: करमेल कॉन्वेंट स्कूल में 8 जुलाई 2022 को हुई दर्दनाक घटना पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने इस हादसे के लिए चंडीगढ़ प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने आदेश दिया है कि मृतक छात्रा हीराक्षी के पिता को ₹1 करोड़ और घायल छात्रा को ₹50 लाख का मुआवजा दिया जाए. साथ ही, घायल छात्रा के इलाज का पूरा खर्च भी प्रशासन को उठाना होगा. अदालत ने कहा कि प्रशासन की लापरवाही ने मासूम जिंदगियों को तबाह कर दिया.
250 साल पुराना पेड़ बना था मौत का कारण: ये घटना दोपहर के खाने के समय हुई, जब सेक्टर-9 स्थित करमेल स्कूल में 70 फीट ऊंचा और 250 साल पुराना पीपल का पेड़ अचानक गिर पड़ा. उस समय लगभग 30 छात्र-छात्राएं पेड़ की छांव में बैठे थे. पेड़ गिरने से कक्षा दसवीं की छात्रा हीराक्षी की मौके पर ही मौत हो गई और उसकी सहपाठी सहित 19 गंभीर रूप से घायल हो गए. एक स्कूल बस अटेंडेंट शीला भी गंभीर रूप से घायल हुईं. घायलों को फौरन अस्पताल पहुंचाया गया. यह हादसा पूरे शहर को हिला देने वाला था.
FIR और जांच: घटना के बाद पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ IPC की धारा 304A और 336 के तहत FIR दर्ज की. उपायुक्त, गृह सचिव और एसएसपी ने मौके का मुआयना किया. इसके बाद तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई, जिसने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी. रिपोर्ट में बताया गया कि पेड़ों की समय पर देखभाल नहीं की गई थी. चंडीगढ़ प्रशासन ने शुरू में इसे “ईश्वर की मर्जी” कहकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया और इसे क्रूरता करार दिया.
जांच पैनल की सिफारिशें: रिटायर्ड जस्टिस जितेंद्र चौहान की अध्यक्षता में बनी समिति ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई अहम सुझाव दिए. इनमें पुराने पेड़ों की अल्ट्रासोनिक जांच, मृत और सूखे पेड़ों का सर्वे, ‘ग्रीन ब्रिगेड’ का गठन, फास्ट-ट्रैक कटाई प्रक्रिया और हेरिटेज पेड़ों की नियमित जांच शामिल थी. अदालत ने पाया कि सुधारों पर काम तो किया गया, लेकिन मुआवजे जैसी मानवीय जरूरतों से प्रशासन मुंह मोड़ता रहा. इस रवैये पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की और कहा कि सिर्फ कागज़ी सुधार काफी नहीं, जिम्मेदारी तय होना जरूरी है.
पर्यावरण कार्यकर्ता बोले- बाकी पीड़ितों को भी मिले इंसाफ: पर्यावरण एक्टिविस्ट राहुल महाजन ने कहा कि “हादसे से कुछ दिन पहले ही उस पेड़ की छंटाई की गई थी, लेकिन एक कमजोर टहनी रह गई थी, जो हादसे की वजह बनी. उस समय शहर में 30 हेरिटेज पेड़ थे, जो अब 28 रह गए हैं.” उन्होंने मांग की कि अन्य सात पीड़ित परिवारों को भी मुआवजा मिलना चाहिए, जिनकी मौत पेड़ों के गिरने से हुई थी. महाजन का आरोप है कि “2016 के बाद हेरिटेज पेड़ों की स्थिति की कोई जांच नहीं हुई, जिससे हर मानसून में ऐसे हादसे होते हैं.”

















