देशद्रोह मामला: हिसार कोर्ट ने रामपाल की जमानत याचिका खारिज, अब हाईकोर्ट में होगी अपील

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हिसार: हरियाणा की हिसार जिला अदालत ने देशद्रोह मामले में आरोपी बाबा रामपाल की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इस फैसले के खिलाफ अब रामपाल के वकील महेंद्र सिंह नैन और सचिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अपील दाखिल करेंगे. रामपाल इससे पहले चार आपराधिक मामलों में बरी हो चुका है, लेकिन नवंबर 2018 से वो जेल में बंद है. हाल ही में हाई कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा पर रोक लगाई थी, लेकिन देशद्रोह के गंभीर आरोपों को लेकर अब कानूनी लड़ाई फिर तेज हो गई है.

क्या है देशद्रोह का पूरा मामला: 14 जुलाई 2014 को रोहतक अदालत में एक पुराने मामले की सुनवाई होनी थी. रामपाल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया जाना था. इस दौरान रामपाल के समर्थकों ने हिसार अदालत परिसर में हिंसक उपद्रव कर दिया. वकीलों से मारपीट की गई और अदालत को चारों ओर से घेर लिया गया. इसके बाद बार एसोसिएशन ने हड़ताल कर दी और हाई कोर्ट में अदालत की अवमानना याचिका दाखिल की गई. रामपाल दो बार अदालत में पेश नहीं हुआ, जिसके बाद 17 नवंबर 2014 को गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे.

पुलिस कार्रवाई और हिंसक टकराव: हाई कोर्ट ने पुलिस को 20 नवंबर तक बाबा रामपाल की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे. 18 नवंबर को पुलिस की कार्रवाई के जवाब में रामपाल समर्थकों ने पेट्रोल बम फेंके. इस दौरान हिंसक झड़पों में 6 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए. पुलिस ने देशद्रोह, हत्या, हिंसा और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया. सतलोक आश्रम को खाली करवा लिया गया. 2018 में कोर्ट ने रामपाल को उम्रकैद की सजा सुनाई, हालांकि हाई कोर्ट ने इस सजा पर हाल ही में रोक लगा दी थी.

कौन है बाबा रामपाल? रामपाल का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में हुआ था. शुरुआती जीवन में उन्होंने सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम किया. बाद में संत रामदेवानंद से प्रेरित होकर नौकरी छोड़ दी और कबीर पंथ का प्रचार करने लगे. उन्होंने सतलोक आश्रम की स्थापना की, जहां हजारों अनुयायी जुड़ते चले गए. एक धार्मिक किताब पर टिप्पणी के बाद आर्य समाज से विवाद हुआ, जिसमें हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की मौत हुई. इसके चलते रामपाल और उनके 24 समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था.

रामपाल के आश्रम और प्रभाव: बाबा रामपाल ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश और पंजाब में अपने आश्रम स्थापित किए. उनके सबसे प्रमुख आश्रम बरवाला (हिसार), करोथा, धनाना और नेपाल के जनकपुर में हैं. आश्रमों में AC कमरे और एलईडी युक्त प्रवचन गृह बने हुए थे. सरकारी सेवा में रहते हुए लापरवाहियों के कारण उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. आज भी देशभर में उनके अनुयायी उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं और नियमित रूप से आश्रमों में जाकर प्रवचन सुनते हैं.