कश्मीर में 35 साल बाद खुला शारदा भवानी मंदिर, नई मूर्ति की स्थापना हुई… मुस्लिम बोले- एकता ही घाटी की संस्कृति

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जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के इचकूट गांव में एक बार फिर से शारदा भवानी मंदिर को खोला गया है. 35 साल बाद इस मंदिर के द्वार खोले गए हैं. मंदिर में कश्मीरी पंडितों ने नई मूर्ति की स्थापना की है. इस दौरान कई हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग बढ़-चढ़कर शामिल हुए. कई लोग इस कार्यक्रम में भावुक दिखाई दिए. इस मंदिर को 1990 के बाद से नहीं खोला गया था.

रविवार (31 अगस्त 2025) को इस प्राचीन मंदिर के द्वार एक बार फिर से खोले गए. इससे पहले इस मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्यक्रम किया गया. जिसमें हिंदू और मुस्लिम लोगों ने अहम भूमिका निभाई. मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद मां शारदा भवानी की नई मूर्ति लाई गई और रविवार को पूरे विधि विधान से मूर्ति की स्थापना की गई. इस दौरान बुजुर्ग कश्मीरी पंडित शामिल हुए और उन्होंने मंत्रोच्चार से पूरे परिसर को दिव्य आभा से भर दिया.

1990 के दशक के शुरुआती दिनों में आखिरी बार इस मंदिर को खोला गया था. उसके बाद से घाटी में जब कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ तब इस मंदिर को कभी नहीं खोला गया. इस मंदिर में पुनर्स्थापना के दौरान कई लोग भावुक दिखाई दिए. न सिर्फ कश्मीरी पंडित बल्कि मुस्लिम समाज के लोग भी इस आयोजन में शामिल हुए और उनके चेहरों पर भी खुशी की लहर दिखाई दी.

मुस्लिमों ने लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा

मंदिर का जीर्णोद्धार अपने आप में घाटी में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है. स्थानीय मुस्लिम शख्स ने ही मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान अहम जिम्मेदारी निभाई. प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम शख्स ने कहा कि पंडित भाई और बहनें उनकी आत्मा की तरह हैं. उनका दर्द हमारा दर्द है. उनका घाटी में फिर से स्वागत करना और उनके मंदिर को पुनर्स्थापित करना हमारी जिम्मेदारी है. यही असली कश्मीर है.

स्थानीय लोगों की गहरी आस्था

इचकूट गांव में जिस शारदा भवानी मंदिर में एक बार फिर से मां शारदा भवानी की प्राण प्रतिष्ठा की गई है, वह स्थानीय पंडित समुदाय के लिए गहरी आस्था का केंद्र रहा है. मंदिर के जीर्णोद्धार को घाटी में एक बार फिर से सुलह की दिशा और संस्कृति के पुनर्निमाण के रूप में देखा जा रहा है. घाटी में आयोजित हुआ ये कार्यक्रम स्थानीय लोगों के बीच मेलजोल और उनके बीच एक ठोस बंधन को दर्शा रहा है.