चंडीगढ़ : हरियाणा पुलिस ने 5 से 20 नवम्बर के बीच राज्य भर में आप्रेशन ट्रैकडाऊन शुरू किया है। मकसद साफ है कि गोलीबारी से जुड़े भगौड़ों की पहचान करके उन्हें जल्दी से जेल भेजना और आगे अपराध रोकना। डी.जी.पी. ओ.पी. सिंह के आदेश में जिम्मेदारी, समय-सीमा और काम का तरीका साफ बताया गया है। इस आप्रेशन का समन्वय आई.जी. क्राइम राकेश आर्य करेंगे।
कोई भी नागरिक उन्हें सीधे सूचना दे सकता है। पहचान गोपनीय रखी जाएगी। आदेश के मुताबिक जिनकी पहचान नहीं हुई है, उनकी पहचान करें। जिनकी पहचान ही गई है लेकिन व फरार हैं, उन्ह पाताल से भी ढूंढ निकाल और गिरफ्तार करें। जो आरोपी जमानत पर बाहर हैं, उनकी हिस्ट्री शीट खोल। अगर वे फिर में अपराध में सक्रिय हैं, तो उनकी जमानत रद्द कराने की कार्रवाई करें। जहां अपराध सुनियोजित तरीके से हो रहा है, वहां संगठित अपराध की सख्त धाराएं लगाएं। अपराध से कमाई गई संपत्ति को चिन्हित कर जब्त करें। जो लोग ऐसे अपराधियों को प्रश्रय, संरक्षण या फंडिंग दे रहे हैं, उन पर भी सख्त कानूनी कार्रवाई करें।
एस.एच.ओ. डी.एस.पी. की तय की गई जिम्मेदारी
पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि एस.एच.ओ. और डी.एस.पी. अपने-अपने क्षेत्र में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सीधे जिम्मेदार होंगे। हर थाना/उपमंडल अपनी सबसे बदनाम 5 अपराधियों की सूची बनाएगा और उन्हें गिरफ्तारी, सरेंडर या जमानत रद्दीकरण के जरिए जेल भेजेगा। इसी तरह हर जिला और जोन सबसे बदनाम 10 की सूची बनाएंगे। इसके नतीजों के लिए एस.पी., डी.सी.पी. और सी.पी. जिम्मेदार होंगे। राज्य स्तर पर एस.टी.एफ. सबसे बदनाम 20 की सूची तैयार करेगा और उनकी धर-पकड़ के लिए व्यापक आप्रेशन चलाएगा।
आदेश में यह भी कहा गया है कि इन सूचीबद्ध अपराधियों को आगे अपराध करने से रोकना और पुराने अपराधों के लिए कानून के सामने जवाबदेह ठहराना जरूरी है। अगर ये आगे भी अपराध करते हैं, तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। मतलब, केवल गिरफ्तारी नहीं, बल्कि रोकथाम और मजबूत कानूनी कार्रवाई दोनों पर बराबर जोर है।
पड़ोसी राज्यों से मिलकर काम होगा
पुलिस महानिदेशक की ओर से तैयार किए गए प्रारूप के अनुसार पुलिस को पड़ोसी राज्य पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली व चंडीगढ़ के साथ समन्वय कर सीमावर्ती इलाकों में चैकिंग, संयुक्त कार्रवाई और कस्टडी ट्रांसफर तेज किए जाएंगे। लक्ष्य यह है कि फरार अपराधी राज्य बदलकर बच न निकलें।

















