भिवानी : भिवानी जिले में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन ने सख्त एक्शन प्लान तैयार किया है.कृषि एवं कल्याण विभाग की अगुवाई में यह योजना लागू की जाएगी, जिसमें किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई भी की जाएगी.
प्रशासन ने की दोहरी तैयारी: इस बारे में कृषि विभाग भिवानी के उपनिदेशक डॉ. विनोद फोगाट ने बताया कि, “पराली प्रबंधन के लिए गांव-गांव जाकर किसानों को समझाया गया है कि पराली जलाने से मिट्टी की गुणवत्ता बिगड़ती है. साथ ही जलधारण क्षमता कम होती है और पर्यावरण व जीवों को नुकसान होता है.जागरूकता का असर दिख रहा है और कई किसान अब पराली जलाने से पीछे हट रहे हैं.”
अपनाया जाएगा सख्त तरीका: डॉ. फोगाट ने आगे बताया कि, “पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए दो तरीके अपनाए जा रहे हैं. यलो जोन के गांवों में हर 50 किसानों पर एक नोडल ऑफिसर नियुक्त किया गया है. अन्य गांवों में हर 100 किसानों पर एक नोडल ऑफिसर की नियुक्ति डीसी द्वारा की गई है. गांवों में जागरूकता कैंप और फ्लैग मार्च के माध्यम से किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.अधिकारी लगातार किसानों के संपर्क में हैं.”
- सीआरएम मॉनिटरिंग: हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (HARSAC) की मदद से एक्टिव फायर लोकेशन ट्रैक की जा रही है.
- संयुक्त कार्रवाई: कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पंचायत और पुलिस मिलकर कार्रवाई करेंगे.
- कानूनी दंड: दोषी किसान के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी, 5,000 से 30,000 रुपया तक जुर्माना लगाया जाएगा.
इसके अलावा, “रेड एंट्री” भी की जाएगी, जिसके बाद किसान को किसी भी सरकारी योजना, सब्सिडी या मंडियों में अनाज बेचने का लाभ नहीं मिलेगा.
किसानों को मिलेगा प्रोत्साहन: डॉ. फोगाट ने बताया कि इस बार जिले में करीब 70,000 एकड़ में धान की खेती हुई है. वहीं, पराली पराली प्रबंधन के किसानों को दो तरीके सुझाए गए हैं. पहला, पराली को खेत में ही मिलाना. दूसरा, बेलर मशीन से बाहर निकालकर एनर्जी प्लांट आदि में उपयोग करना. पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को सरकार 1,200 रुपया प्रति एकड़ का प्रोत्साहन देगी.इसके लिए “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर पंजीकरण आवश्यक है. इसके साथ ही कृषि उपकरणों की खरीद पर किसानों को 50% तक की सब्सिडी भी दी जा रही है.इस बार लगभग 400 किसानों को यंत्र खरीदने के लिए परमिट जारी किए गए हैं.

















