भूमि रजिस्ट्री में तकनीकी बाधा: SDM–DRO पोर्टल बंद, तहसीलदार संभाल रहे जिम्मेदारी

SHARE

भिवानी। अब जिले में एसडीएम और जिला राजस्व अधिकारी नहीं सिर्फ तहसीलदार ही पेपरलेस भूमि रजिस्ट्री कर रहे हैं। हालांकि ऑनलाइन टोकन सिस्टम पुराना ही है लेकिन नई व्यवस्था के बाद भिवानी में जिला राजस्व अधिकारी व एसडीएम के कार्यालय से एक भी भूमि रजिस्ट्री नहीं हुई है। पुराने सिस्टम में इन दोनों अधिकारियों के कार्यालय से भूमि रजिस्ट्री होती रही है। अब एसडीएम और जिला राजस्व अधिकारी का पेपरलेस भूमि रजिस्ट्री पोर्टल काम नहीं कर रहा है।

पेपरलेस रजिस्ट्री के बावजूद भूमि रजिस्ट्री कराने वालों को 43 पेज तक के दस्तावेज थमाए जा रहे हैं। लोग बता रहे हैं कि पहले से कहीं अधिक कागजी कार्रवाई और पेपर का दबाव बढ़ गया है। तहसील कार्यालय में ऑनलाइन दस्तावेज जमा कराने का प्रावधान होने के बावजूद नई व्यवस्था में पहले से अधिक पेपर का इस्तेमाल हो रहा है। भूमि प्रलेख तैयार करने वालों का काम भी बढ़ गया है।

एक नवंबर से सभी तहसील कार्यालयों में पेपरलेस भूमि रजिस्ट्री लागू की गई है। शुरूआत में कुछ दिक्कतें आईं लेकिन अब ये अड़चने कम हो गई हैं। अब मुख्य समस्या यह है कि भूमि वसीका प्रलेख तैयार करने में सबसे अधिक कागज का इस्तेमाल हो रहा है। खरीदार और विक्रेता के निजी पहचान दस्तावेज अलग से लगाए जा रहे हैं। हालांकि सभी दस्तावेजों की पीडीएफ फाइल पोर्टल पर अपलोड की जा रही है लेकिन रजिस्ट्री के दौरान मूल दस्तावेजों को तस्दीक के लिए पेश किया जा रहा है। परिणामस्वरूप एक भूमि रजिस्ट्री में 43 से अधिक पेज उपयोग हो रहे हैं।

भूमि रजिस्ट्री में अब शब्दों की पाबंदी हटा दी गई है। खरीदार अपनी शर्तें प्रलेख में लिखवा सकता है। इस कारण मेटर बढ़ रहा है और कागज का इस्तेमाल भी ज्यादा हो रहा है।

भूमि रजिस्ट्रियों में गड़बड़ी के पहले भी उजागर हुए मामले

ऑफलाइन भूमि रजिस्ट्री को लेकर भिवानी जिले में गड़बड़ी के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसी कारण एसडीएम और जिला राजस्व अधिकारी ने ऑफलाइन रजिस्ट्री करने की शक्ति से अपने हाथ पीछे खींच लिए। अब भी नई व्यवस्था में खामियां हैं जिससे लोगों की परेशानी कम नहीं हुई। प्रशासन और एंटी करप्शन ब्यूरो भी इन मामलों की जांच में जुटा है।

सभी ऑनलाइन टोकन सीधे तहसीलदार के पास पहुंच रहे

भिवानी में अब तक तहसीलदार और नायब तहसीलदार के अलावा किसी अधिकारी ने रजिस्ट्री नहीं की है। एसडीएम और जिला राजस्व अधिकारी का पेपरलेस भूमि रजिस्ट्री पोर्टल काम नहीं कर रहा है। सभी ऑनलाइन टोकन सीधे तहसीलदार के पास पहुंच रहे हैं। तहसीलदार को ही पोर्टल पर रजिस्ट्री का डाटा दिखने पर पता चलता है। पहले यह भी पता नहीं लगता था कि एक दिन में कितनी भूमि रजिस्ट्री होंगी।

पेपरलेस भूमि रजिस्ट्री की प्रक्रिया

भूमि रजिस्ट्री कराने वाले व्यक्ति को यूनिफाइड पोर्टल eregistration.revenueharyana.gov.in पर जाकर मोबाइल नंबर से लॉगिन करना होगा।
नए यूजर को 503 रुपये फीस के साथ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।
सेल डीड, खसरा नंबर, किला नंबर, एरिया, विक्रेता-खरीदार की जानकारी, आधार कार्ड, पुरानी रजिस्ट्री, एनओसी आदि दस्तावेज अपलोड करने होंगे।
डीड की जानकारी ऑनलाइन तहसील कार्यालय के रजिस्ट्री क्लर्क के पास जाएगी।
स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान कर अपॉइंटमेंट बुक करनी होगी।
तय तिथि पर खरीदार, विक्रेता और दो गवाह एसआरओ कार्यालय जाकर फिंगरप्रिंट और फोटो से पहचान कराएंगे।
दस्तावेजों की जांच के बाद डीड डिजिटल सिग्नेचर के साथ पोर्टल पर रजिस्टर्ड होगी।
रजिस्टर्ड डीड की कॉपी पोर्टल से डाउनलोड की जा सकेगी।

पेपरलेस भूमि रजिस्ट्री सिस्टम पूरी तरह से काम कर रहा है। तहसील कार्यालय में नए सिस्टम से ही भूमि रजिस्ट्री हो रही हैं जिसका आम लोगों को भी लाभ मिल रहा है। नई व्यवस्था के अनुसार सभी दस्तावेज डिजिटल प्रारूप में पोर्टल पर ऑनलाइन ही अपलोड किए जाने हैं। इसमें पेपर का कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अगर डीड कराने वाला उसे बाहर से प्रिंट करता है तो उसकी सुविधा के अनुसार यह विकल्प भी मौजूद है। सरकार की हिदायतों के अनुसार ही तहसील कार्यालय में भूमि रजिस्ट्री कराई जा रही हैं।