चंडीगढ़ : दिल्ली की तर्ज पर अब हरियाणा में भी 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पैट्रोल वाहनों की पहचान करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके लिए सरकार ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकगनेशन कैमरा (ए.एन. पी. आर.) खरीदने जा रही है। परिवहन विभाग ने कैमरों की खरीद प्रक्रिया को पूरा करने के लिए फाइल मुख्यमंत्री ऑफिस में भेजी है। सी.एम. की मंजूरी मिलने के बाद ही परिवहन विभाग ए.एन.पी. आर. कैमरों की खरीद के लिए टैंडर प्रक्रिया शुरू करेगा।
परिवहन विभाग के सूत्रों ने बताया कि अभी ये कैमरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 4 जिलों के पैट्रोल पंपों पर लगाए जाएंगे। जहां इन कैमरों की मदद से वाहन कितना पुराना है ये पता लगाया जाएगा। इसके बाद ही उन्हें पैट्रोल, डीजल या सी.एन.जी. दिया जाएगा। हालांकि इस मामले में गत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पुराने वाहन मालिकों को राहत देते हुए कहा है कि अचानक से वाहनों को इस तरह डंप नहीं किया जा सकता है। अभी इस मामले में अंतिम निर्णय आना बाकी है।
दरअसल एन.जी. टी. ने गत 7 अप्रैल 2015 को निर्देश दिया था कि पुराने वाहनों को एन.सी.आर. में चलने की अनुमति नहीं दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने भी 29 अक्तूबर 2018 के अपने आदेश में कहा था कि ऐसे एंड ऑफ लाइफ (ई.ओ.एल.) वाहन एन.सी.आर. में नहीं चलेंगे। इसके बाद ये प्रक्रिया बेहद धीमी गति से चलती आ रही है। अब सरकार ने फिर से एक बार तेजी से इस ओर काम करना शुरू कर दिया है। दिल्ली में 1 जुलाई से पैट्रोल पंपों पर ए.एन.पी. आर. कैमरे लगाए जा चुके हैं। हरियाणा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 4 जिलों में ए.एन.पी.आर. कैमरे लगाए जाएंगे। इनमें गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर और सोनीपत शामिल हैं। इन चारों जिलों में 679 पेट्रोल पंप हैं। जहां इन कैमरों को इंस्टॉल किया जाएगा। हालांकि परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहले फेज में चार जिलों को शामिल किया गया है, उसके बाद दूसरे और तीसरे चरण में एन. सी. आर. में आने वाले अन्य सभी जिलों में शुरू किया जाएगा।
ऐसे काम करता है ए.एन.पी.आर. कैमरा
.एन.पी. आर. एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं, जो वाहनों की नंबर प्लेटों को ऑटोमैटिक रूप से पहचानने और पढ़ने के लिए डिजाइन किए गए हैं। ये कैमरे ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग करके नंबर प्लेट की छवियों को डिजिटल टैक्स्ट में बदलते हैं, जिससे वाहनों की आवाजाही को ट्रैक करने, यातायात प्रबंधन, कानून प्रवर्तन और अन्य उद्देश्यों के लिए जानकारी एकत्र की जा सकती है। इससे नंबर प्लेटों की इमेज कैप्चर की जाती है जो वाहनों की नंबर प्लेटों की तस्वीरें लेता है। कैमरे में लगा सॉफ्टवेयर, जिसे ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन कहा जाता है, तस्वीरों से नंबर प्लेट के अल्फान्यूमेरिक टैक्स्ट (अक्षर और संख्याएं) को पहचानता है। पहचाने गए नंबर प्लेट डेटा को एक डेटाबेस से मिलाया जाता है, जिसमें वाहन के मालिक, रजिस्ट्रेशन और अन्य जानकारी होती है। इस डेटा का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे ट्रैफिक मैनेजमेंट, लॉ इन्फोर्समेंट, टोल कलेक्शन और क्राइम का पता लगाना है।
पंप के एंट्री पाइंट पर ही हो जाएगी वाहन की पहचान
पेट्रोल पंप पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा लगने के बाद 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पैट्रोल के वाहन की पहचान पंप के एंट्री पाइंट पर ही हो जाएगी। सॉफ्टवेयर की मदद से संबंधित वाहन की पूरी जानकारी मिलेगी। यदि वाहन 10 व 15 साल पुराने हो गए हैं तो उन्हें पैट्रोल-डीजल से इनकार कर दिया जाएगा, क्योंकि ये सॉफ्टवेयर नंबर प्लेट को स्कैन करके वाहन डेटाबेस से जानकारी प्राप्त करते हैं। यदि वाहन की उम्र निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उसे चिह्नित करते हैं। इसके बाद संबंधित अधिकारियों को अलर्ट भेजा जाता है।