50 घंटे में सुलझी बच्ची के अपहरण की गुत्थी, रेलवे पुलिस ने सकुशल बरामद कर परिजनों को सौंपा

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चंडीगढ़  : हरियाणा की रेलवे पुलिस ने एक बार फिर अपनी तत्परता और दक्षता का लोहा मनवाया है। गुड़गांव रेलवे स्टेशन से 4 वर्षीय बच्ची के अपहरण की सनसनीखेज घटना के महज 50 घंटे के भीतर पुलिस ने बच्ची को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत रेलवे स्टेशन से सकुशल बरामद कर परिजनों को सौंप दिया। यह ऑपरेशन न सिर्फ तेज़ कार्रवाई का उदाहरण है बल्कि तकनीकी निगरानी और जमीनी प्रयास का बेहतरीन संगम भी है।

रेलवे पुलिस की संवेदनशील कार्रवाईः जीवन रक्षा से जनविश्वास तक

इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक हरियाणा श्री शत्रुजीत कपूर ने कहा कि रेलवे पुलिस की यह कार्यवाही केवल कर्तव्य निभाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इंसानियत और जनसेवा का सजीव उदाहरण है। किसी मासूम की मुस्कान लौटाना, बिछड़े बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाना या निराशा की कगार पर खड़े लोगों को नई जिंदगी का संबल देना – पुलिस को जनता से जोड़ने वाले सबसे मजबूत सूत्र हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे पुलिस की संवेदनशीलता और तत्परता न सिर्फ जीवन बचाने का कार्य किया है, बल्कि यह समाज में सुरक्षा की भावना को गहरा करती है और पुलिस के प्रति विश्वास और भरोसे को और मजबूत बनाती है। यही विश्वास आगे चलकर अपराध नियंत्रण और सामाजिक शांति की सबसे बड़ी ताकत बनता है।

घटनाः मासूम बच्ची का अपहरण

16 सितंबर 2025 को गुड़गांव रेलवे स्टेशन पर एक व्यक्ति को अज्ञात आरोपी ने नशीला पदार्थ खिलाकर बेहोश कर दिया और मौके का फायदा उठाकर उसकी छोटी बच्ची को अगवा करके ले गया।

पुलिस की त्वरित रणनीति

सूचना मिलते ही रेलवे पुलिस अधीक्षक, श्रीमती नितिका गहलोत ने मामले को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए तत्काल एक्शन की कमान संभाली। उनके निर्देश पर उप पुलिस अधीक्षक, फरीदाबाद, श्री राजेश कुमार के पर्यवेक्षण में 18 रेडिंग पार्टियों का गठन किया गया। इन टीमों में 3-3 पुलिसकर्मी, साइबर विशेषज्ञ और सीसीटीवी फुटेज का गहन विश्लेषण करने वाले अनुभवी कर्मी शामिल किए गए।

तकनीक और मैदान की जुगलबंदी

पुलिस ने गुड़गांव से आनंद विहार रेलवे स्टेशन तक के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। इसमें सामने आए संदिग्ध के चित्र आरपीएफ और रेलवे पुलिस द्वारा व्यापक स्तर पर प्रसारित किए गए। साथ ही, मामले की गंभीरता को देखते हुए कुछ टीमें राजस्थान (कोटपुतली, अलवर) और उत्तर प्रदेश (बरेली, पीलीभीत) में भेजी गईं।

ऑपरेशन पीलीभीतः सफलता की कहानी

पीलीभीत रेलवे स्टेशन पर जब पुलिस टीम तलाशी कर रही थी तो आरोपी को पुलिस की सक्रियता का आभास हो गया। दबाव में आकर उसने बच्ची को वहीं छोड़ दिया और मौके से भाग निकला। पुलिस ने तुरंत बच्ची को अपनी सुरक्षा में लिया और डॉक्टरों से मेडिकल जांच कराने के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया। बच्ची बिल्कुल सुरक्षित है। गुमशुदा बच्ची को वापिस पाकर परिवार की खुशी का ठिकाना नही रहा और वे बार-बार पुलिसकर्मियों का धन्यवाद करते नजर आए।

स्थानीय सहयोग और मानवीय पहल

इस पूरे अभियान में तकनीकी सर्विलांस टीम की भूमिका निर्णायक रही। साथ ही, गुड़गांव रेलवे स्टेशन के टैक्सी व ऑटो चालकों ने भी पुलिस की सक्रिय मदद की। यह सहयोग पुलिस-जन सहभागिता का उत्कृष्ट उदाहरण बनकर सामने आया।

रेलवे पुलिस की हाल ही के समय की उपलब्धियां

केवल पिछले एक महीने में ही जीआरपी हरियाणा ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज की हैं। रेलगाड़ियों के माध्यम से अवैध रूप से ले जाए जा रहे 24 मासूम बच्चों को सुरक्षित बचाकर उनके परिजनों तक पहुँचाया गया। इसी अवधि में प्लेटफार्म और ट्रेनों पर बिछड़े 23 बच्चों को ढूंढकर उनके परिवारों से मिलवाया गया। इसके अलावा आत्महत्या की नीयत से रेलवे पटरियों पर पहुँचे 2 पुरुषों और 9 महिलाओं की जान बचाकर उन्हें सुरक्षित उनके घरों तक पहुँचाया गया।

जनविश्वास का प्रतीक

रेलवे पुलिस का यह ऑपरेशन दर्शाता है कि यदि संवेदनशीलता, तकनीक और टीमवर्क को सही दिशा में जोड़ा जाए तो कठिन से कठिन चुनौती को भी पार किया जा सकता है। बच्ची का सकुशल घर लौटना न सिर्फ परिजनों के लिए राहत की बात है बल्कि समाज में पुलिस की कार्यकुशलता और जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण भी है।